गाय के नाम पर ”गौ-रक्षक” गुण्डों के पिछले दो वर्षों के क़ारनामों पर एक नज़र
राजिन्दर सिंह
गाय के नाम पर फासीवादियों ने जो गुण्डागर्दी और क़त्लोगारत देशभर में मचा रखी है, वह किसी से छिपी नहीं है। “गौ-रक्षक” गुण्डे मोदी के सत्ता में आने के बाद बेख़ौफ़ घूम रहे हैं और नयी-नयी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इन घटनाओं पर देश के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी पूरी बेशर्मी से चुप्पी धारण किये रहे, जब दुनियाभर में थू-थू होने लगी तो कह दिया कि महात्मा गाँधी इन हत्याओं को ठीक नहीं कहते। विरोध और बढ़ा तो एक और बयान दे दिया कि गौरक्षा के नाम पर गुण्डई बर्दाश्त नहीं की जायेगी। मगर गौ-गुण्डों को भी पता है कि ये सब बयान दूसरों को सुनाने के लिए हैं। इसीलिए, मोदी कुछ भी कहते रहें, गाय के नाम पर हत्याएँ और गुण्डागर्दी लगातार जारी है। इन गौ-गुण्डों को सरकारी शह हासिल है। लगभग सारी ही घटनाओं में पुलिस की भूमिका मूकदर्शक वाली बनी हुई है, कहीं-कहीं पुलिस ख़ुद “दोषियों” को गौ-गुण्डों के हवाले कर रही है। यह पूरा काम पुलिस और तथाकथित गौरक्षा दलों की मिलीभगत से चल रहा है। कई ऐसे वीडियो भी सामने आये हैं, जहाँ पुलिस वाले इन घटनाओं पर हँसते हुए पाये गये हैं। गौ-रक्षकों के लिए यह एक मुनाफ़े वाला धन्धा भी बन रहा है। अख़बारों में छपे लोगों के विभिन्न बयानों से पता चलता है कि कई स्थानों पर गौ-रक्षकों ने पैसे लेकर “दोषियों” को बरी किया है और अगर आप पैसे नहीं दे सकते तो सज़ा के हक़दार तो हो ही। कई जगह ये तथाकथित गौरक्षक ख़ुद ही गाय बेचते पकड़े गये हैं। इसके साथ ही मुसलमानों पर झूठे मुक़द्दमों का दौर भी शुरू हुआ है। गोवंश हत्या और अस्थायी प्रवास अथवा निर्यात नियमन क़ाूनन, 1995 के तहत सिर्फ़ राजस्थान में 73 मुक़द्दमे दर्ज हुए जो बाद में झूठे साबित हुए।
हम केवल पिछले डेढ़ वर्षों की घटनाओं पर एक सरसरी नज़र डालते हैं, जो ये दर्शाती हैं कि यह कुछ अलग-थलग घटनाएँ नहीं, बल्कि मामलों की एक पूरी लड़ी है। ज़्यादातर घटनाएँ मीडिया तक पहुँचने से पहले ही दम तोड़ देती हैं।
- 4 मार्च 2015 को महाराष्ट्र सरकार ने गाय का माँस खाने पर पाबन्दी लगा दी। किसी के पास से माँस मिलने पर नये क़ानून के अनुसार पाँच वर्ष की सज़ा और 10,000 रुपये जुर्माना लागू किया गया। महाराष्ट्र में 1976 का क़ानून सिर्फ़ गाय मारने पर पाबन्दी लगाता था, जिसको कि बदलकर बैल और साँड तक बढ़ाया गया। 16 मार्च 2015 को हरियाणा सरकार ने एक बिल पास किया जिसके मुताबिक़ गाय का माँस खाने पर पाबन्दी लगायी गयी और खाने पर 5 वर्ष की सख़्त सज़ा और 50,000 रुपये तक जुर्माना लागू हुआ।
- 30 मई 2015 को अब्दुल ग़फ़ूर कुरैशी नाम के व्यक्ति को बिरलोका, राजस्थान में पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया गया। उसके बारे में सोशल मीडिया पर लगातार यह ख़बर फैलायी गयी कि एक त्यौहार के लिए उसने 200 गाय मारी हैं। हज़ारों की गिनती में भीड़ ने उसको मौत के घाट उतार दिया।
- 29 अगस्त 2015 को दिल्ली के मयूर विहार इलाक़े के चिल्ला गाँव में भड़की हुई भीड़ का चार ड्राइवरों से झगड़ा हुआ जो भैसों को एक बूचड़खाने में छोड़ने जा रहे थे।
- 28 सितम्बर 2015 दादरी के मुहम्मद अख़लाक़ को “भीड़” ने गाय मारने के शक में वहशी तरीक़े से पीट-पीट कर मार दिया। उनके गाँव के मन्दिर से लाउडस्पीकर पर ऐलान करके सैकड़ों की भीड़ इकट्ठा की गयी जिसने उनके घर पर हमला करके उनके परिवार के सामने ही अख़लाक़ की हत्या कर दी और उनके बेटे को अधमरा कर दिया।
- 6 अक्टूबर 2015 को कर्नाटक में एक भैसों-गायों के व्यापारी, जिस पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने लोहे की छड़ों से हमला कर दिया, ने भाग कर अपनी जाच बचायी। जिसके बारे में किसी ने यह अफ़वाह फैलायी कि वह एक गौ-तस्कर है।
- 9 अक्टूबर 2016 को यूपी के मैनपुरी जि़ले में भड़की हुई भीड़ ने गाय मारने की एक अफ़वाह के चलते उत्पात मचाया।
- 9 अक्टूबर 2015 को श्रीनगर के एक ट्रक पर ऊधमपुर में दक्षिणपन्थी कार्यकर्ताओं ने पैट्रोल बम से हमला किया, जिसमें दो कश्मीरी नागरिक और एक पुलिस वाला सवार था। एक नागरिक की बाद में इलाज के दौरान मौत हो गयी।
- 16 अक्टूबर 2015 को हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जि़ले में भीड़ ने एक व्यक्ति को गौ-तस्करी के दोष में मौत के घाट उतार दिया।
- 3 दिसम्बर 2015 को हरियाणा के पलवल जि़ले में हिंसक घटनाएँ हुईं, जब भीड़ ने मांस लेकर जा रहा एक ट्रक रोक लिया।
- 3 जनवरी 2016 को मध्य प्रदेश के खिरकिया रेलवे स्टेशन पर गौ-रक्षकों ने एक जोड़े पर यह कहकर हमला किया कि वह गौ-माँस लेकर जा रहा है। उनके पास कुछ भी नहीं मिला।
- 18 मार्च 2016 को झारखण्ड के लातेहार में मज़लूम अंसारी और उसके 15 वर्षीय बेटे को पीटा गया और बाद में पेड़ पर लटकाकर फाँसी दे दी गयी जो कि एक पशु मेले में गाय लेकर जा रहे थे। गौ-रक्षक जिन्होंने इस काम को अंजाम दिया बजरंग दल के सदस्य हैं।
- 5 अप्रैल 2016 को कुरुक्षेत्र, हरियाणा में मुस्तैन अंसारी जो कि भैंस लेकर जा रहा था, उसको गौ-रक्षकों द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया। इस मुक़द्दमे में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 9 मई को सीबीआई जाँच के निर्देश दिये हैं।
- 2 जून 2016 को राजस्थान के प्रतापगढ़ में गौ-रक्षकों ने एक मुस्लिम व्यापारी को बुरी तरह पीटा और उसको नंगा करके तस्वीरें खींचीं।
- 10 जून 2016 को गुड़गाँव में दो व्यक्तियों के साथ बीफ़-ट्रांसपोर्टर होने के शक में बुरी तरह मारपीट की गयी और गाय का गोबर खाने के लिए मज़बूर किया गया।
- 10 जुलाई 2016 को कर्नाटक के कोपा में बजरंग दल द्वारा एक दलित परिवार पर गौ-माँस होने के शक में हमला किया गया।
- 11 जुलाई 2016 को गुजरात, ऊना में गौ-रक्षकों द्वारा दलित परिवार के सात सदस्यों द्वारा मरी हुई गाय की खाल उतारने के “दोष” में बुरी तरह मार-पीटकर नंगा घुमाया गया।
- 26 जुलाई 2016 को मध्यप्रदेश के मन्दसौर रेलवे स्टेशन पर दो मुस्लिम औरतों के पास गौ-माँस होने के शक में उनके साथ बुरी तरह मार-पीट की गयी।
- 30 जुलाई 2016 मुज़फ़्फ़रनगर में एक मुसलमान परिवार पर गाय मारने के शक में भड़की हुई भीड़ ने हमला किया।
- 5 अगस्त 2016 को लखनऊ में दलित नौजवानों को मरी हुई गाय की खाल उतारने से मना करने पर बुरी तरह मारा-पीटा गया।
- 18 अगस्त 2016 को प्रवीण नाम के व्यक्ति को कर्नाटक में गौ-तस्करी करने के शक में मौत के घाट उतार दिया गया। बाद में पता चला कि वह भाजपा कार्यकर्ता था।
- अगस्त 2016 में आन्ध्र प्रदेश में बिजली का करेंट लगने से मरी एक गाय की खाल उतारने के लिए बुलाये गये दो दलित भाइयों पर करीब 100 गौ-गुण्डों ने यह कहकर हमला कर दिया कि उन्होंने गाय को चुराकर मारा है।
- 24 अगस्त 2016 को हरियाणा के मेवात में एक मुसलमान परिवार पर गौ-रक्षकों ने हमला किया। दो नौजवानों को मौत के घाट उतार दिया गया। दो बुरी तरह ज़ख़्मी हुए। उनकी बहन के साथ गैंग रेप किया गया।
- 18 सितम्बर 2016 को मुहम्मद अयूब नाम का व्यक्ति जो एक बैल और एक बछड़े को लेकर जा रहा था, रास्ते में हादसा होने के कारण बछड़ा मर जाता है। गौ-रक्षक अयूब के साथ बुरी तरह मार-पीट करते हैं, जो हादसे से तो बच जाता है, लेकिन इन “देशभक्तों” की मार न झेलने के कारण अस्पताल में दम तोड़ देता है।
- 1 अप्रैल 2017 को राजस्थान के अलवर ज़िले में मवेशी ख़रीदकर लौट रहे मुस्लिम डेरी व्यापारियों पर हमला किया गया। मवेशियों की खरीद के क़ानूनी काग़ज़ात दिखाने के बाद भी उन्हें बुरी तरह मारा गया जिससे बुज़ुर्ग पहलू ख़ान की 3 अप्रैल को मौत हो गयी। संघ परिवार की साध्वी कमल ने हत्यारे गौ-गुण्डों की तुलना भगतसिंह से की।
- 21 अप्रैल 2017 को जम्मू-कश्मीर के रियासी ज़िले में गौ-गुण्डों ने बंजारे परिवार पर हमला करके 9 साल की बच्ची सहित कुई महिलाओं को लोहे की छड़ों से बुरी तरह पीटा। इसी दिन दिल्ली में भी गौ-गुण्डों ने भैंस ले जा रहे कुछ व्यापारियों पर हमला किया। पुलिस ने उल्टा उन व्यापारियों को ही पशु क्रूरता क़ानून में गिरफ़्तार कर लिया।
- 20 जून 2017 को हरियाणा के बल्लभगढ़ में ट्रेन में जुनैद नाम के किशोर को पीट-पीट कर मार दिया गया। सीट को लेकर हुए विवाद के बाद उस पर झोले में बीफ़ रखने का आरोप लगाकर हमला किया गया।
- 13 जुलाई 2017 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के पास भीड़ ने ट्रेन में यात्रा कर रहे 10 लोगों के मुस्लिम परिवार पर हमला किया और बुज़ुर्गों, महिलाओं और विकलांग लड़के तक को लोहे की छड़ों से बुरी तरह मारा।
ये तो चन्द एक घटनाएँ हैं। सरकार और संघ परिवार की शह पाये हुए ये गुण्डा गिरोह और उन्मादी भीड़ लगातार देशभर में आतंक मचाये हुए हैं।
मज़दूर बिगुल, जुलाई 2017
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