पंतनगर के मजदूर संघर्ष की राह पर
प्रशासन दमन पर आमादा
बिगुल संवाददाता
पंतनगर (ऊधमसिंह नगर)। पंतनगर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मजदूर यहां की तीन प्रमुख यूनियनों–पंतनगर कर्मचारी संगठन, श्रमिक कल्याण संघ व सफाई मजदूर कांग्रेस के साझा मंच ‘ट्रेड यूनियन संयुक्त मोर्चा’ के नेतृत्व में आखिरकार संघर्ष की राह पर उतर पड़े हैं।
विश्वविद्यालय की 3200 एकड़ बेशकीमती जमीन पर उद्योग बसाकर यहां के मजदूरों के भविष्य को अंधकारमय करने की सरकारी योजना, ठेकाकरण लागू होने के विरोध सहित फार्म मजदूरों को विश्वविद्यालय कर्मचारियों के समान वेतन व सुविधाओं के पुराने आश्वासनों को पूरा करने, 240 दिन पूरा कर चुके दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों व मृतक आश्रित मस्टर लिस्टेड कर्मचारियों के नियमितीकरण सहित 14 सूत्री मांगों पर जब कोई भी समाधान नहीं निकला तो अन्तत: मजदूरों को संघर्ष का रास्ता अपनाना पड़ा।
मोर्चा के नेतृत्व में 27 जनवरी से मजदूरों ने अपना क्रमिक अनशन, धरना–प्रदर्शनों शुरू कर दिया और मांगें न माने जाने पर हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है। उधर वि.वि. प्रशासन ने राज्यपाल से छह माह तक हड़ताल पर रोक का आदेश ले लिया है। प्रशासन आंदोलन को कुचलने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद है। जिला व पुलिस प्रशासन उसके साथ है। उसने कोर्ट से परिसर में धरना–प्रदर्शन पर रोक का स्थगनादेश पहले से ले रखा है और आंदोलन शुरू होते ही नेताओं के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का मुकदमा भी ठोंक दिया है।
प्रशासन मजदूरों को गुमराह करने का असफल प्रयास भी कर रहा है। यहां की स्थिति एक बार फिर 1978 के ऐतिहासिक संघर्ष की याद दिला रही है और दमन के वैसे ही मंजर का अहसास करा रही है। निश्चित रूप से परिस्थितियां पहले से काफी भिन्न हैं। लेकिन इतिहास की यह एक कड़वी सच्चाई है कि दमन का पाटा जितना तेज चलता है मजदूरों का संघर्ष उतना ही निखरता जाता है।
बहरहाल, यहां संघर्ष की जो नयी शुरुआत हुई है उससे मजदूरों को काफी उम्मीदे हैं।
बिगुल, फरवरी 2004
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