कारखानों में श्रम कानून लागू करवाने के लिए लुधियाना में ज़ोरदार रोष प्रदर्शन
बिगुल संवाददाता
30 जून को लुधियाना के कारखाना मज़दूरों ने टेक्सटाईल हौज़री कामगार यूनियन व कारखाना मज़दूर यूनियन के नेतृत्व में डी.सी. कार्यालय पर ज़ोरदार रोष प्रदर्शन किया। पहले तीखी धूप और फिर घण्टों तक भारी बारिश के बावजूद मज़दूर कारखानों में हड़ताल करके डी.सी. कार्यालय पहुँचे। डी.सी. कार्यालय के गेट तक पहुँचने पर लगाए गए अवरोध मज़दूरों के आक्रोश के सामने टिक नहीं पाए। मज़दूरों ने गगनभेदी नारों के साथ भरत नगर चौक से डी.सी. कार्यालय तक पैदल मार्च किया। डी.सी. कार्यालय के गेट पर भारी बारिश के बीच मज़दूर धरने पर डटे रहे, ज़ोरदार नारे बुलन्द करते रहे, मज़दूर नेताओं का भाषण ध्यान से सुनते रहे। उन्होंने माँग की कि कारखानों में हादसों से मज़दूरों की सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम किए जाएँ, हादसा होने पर पीड़ितों को जायज़ मुआवज़ा मिले, दोषी मालिकों को सख़्त सज़ाएँ हों, मज़दूरों की उज़रतों में 25 प्रतिशत बढ़ोतरी की जाए, न्यूनतम वेतन 15000 हो, ई.एस.आई., ई.पी.एफ., बोनस, पहचान पत्र, हाजिरी कार्ड, लागू हो, मज़दूरों से कारखानों में बदसलूकी बन्द हो, स्त्री मज़दूरों के साथ छेड़छाड़, व भेदभाव बन्द हो, उन्हें समान काम का पुरुषों के समान वेतन दिया जाए। मज़दूरों से कारखानों में मारपीट व बदसलूकी बन्द हो। यूनियनों ने माँग की है कि श्रम क़ानूनों का उल्लंघन करने वाले मालिकों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाए। मज़दूर संगठनों ने केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा श्रम कानूनों में मज़दूर विरोधी संशोधनों के कदमों का कड़ा विरोध करते हुए उन्हें रद्द करने की माँग की भी की।
वक्ताओं ने कहा कि औद्योगिक मज़दूरों की ज़िन्दगी बद से बदतर होती जा रही है। कमर तोड़ महँगाई ने मज़दूरों का बुरा हाल कर दिया है। मज़दूरों की मेहनत की लूट के ज़रिये पूँजीपति बेहिसाब सुख-सहूलियतों का आनन्द ले रहे हैं और मज़दूर भयानक तंगी-बदहाली का जीवन जीने पर मजबूर कर दिए गए हैं। कारखानों में श्रम कानूनों की सरेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। हादसों से सुरक्षा के इंतज़ाम नहीं है। हादसों में मज़दूरों को गम्भीर चोटों, अपाहिजता, व मौत का शिकार होना पड़ता है। पीड़ितों को इंसाफ़ भी नहीं मिलता। कारखानों में न्यूनतम वेतन, महँगाई के मुताबिक वेतन वृद्धि, ई.एस.आई, फण्ड बोनस, छुट्टियाँ, पहचान पत्र, हाजिरी आदि से सम्बन्धित श्रम कानून भी लागू नहीं हैं। सरकारें पहले से मौजूद श्रम कानून लागू करवाने वा इनमें मज़दूरों के हित में सुधार करने की बजाए इनमें मज़दूर विरोध संशोधन कर रही हैं। सभी पार्टियों से सम्बन्धित केन्द्र व राज्य सरकारों ने मज़दूरों के अधिकारों पर ज़ोरदार हमला छेड़ रखा है। केन्द्र में मोदी सरकार आने के बाद तो मज़दूरों के अधिकारों पर हमला और भी तेज़ हो गया है। मज़दूरों के संगठित संघर्ष को कुचलने के लिए काले कानून लाए जा रहे हैं, सरकारी दमनकारी ढाँचे के दाँत और तीखे किए जा रहे हैं। वक्ताओं ने कहा कि मज़दूरों को मालिकों व सरकारी तंत्र द्वारा उनकी लूट, दमन, अन्याय के खिलाफ विशाल व जुझारू आन्दोलन खड़ा करना होगा। मज़दूरों की परिस्थितियों में सुधार खुद मज़दूरों के फौलादी संघर्ष द्वारा ही हो सकता है।
प्रदर्शन को कारखाना मज़ूदर यूनियन के अध्यक्ष लखविन्दर, टेक्सटाइल हौजरी कामगार यूनियन के समिति सदस्य घनश्याम, नौजवान भारत सभा की कार्यकर्ता रविन्दर, बिगुल मज़दूर दस्ता के विश्वनाथ आदि ने सम्बोधित किया। उनके अलावा मोल्डर एण्ड स्टील वर्कर्ज यूनियन के हरजिन्दर सिंह व विजय नारायण व लोक एकता संगठन के गल्लर चौहान ने भी प्रदर्शन को सम्बोधित किया।
प्रदर्शन की तैयारी व मज़दूरों को जागरूक करने के लिए कारखाना मज़दूर यूनियन व टेक्सटाईल हौज़री कामगार यूनियन द्वारा तीन हफतों से लुधियाना के विभिन्न इलाकों में औद्योगिक मज़दूरों के बीच ज़ोरदार मुहिम चलाई गई है। हज़ारों पर्चों, पोस्टरों, नुक्कड़ सभाओं, कारखाना गेट मीटिंगों आदि के जरिये लुधियाना के लाखों औद्योगिक मज़दूरों तक हक, सच, इंसाफ की आवाज पहुँचाई गई, मज़दूरों को अपने माँग-मसलों पर उठ खड़े होने का आह्वान किया गया।
मज़दूर बिगुल, जुलाई 2016
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन