आधार : लूटतन्त्र की रक्षा के लिए जनता पर निगरानी और नियन्त्रण का औज़ार
आधार, कैशलेस और डिजिटल के मेल से सत्ताधारियों के लिए किसी भी जनसमूह के जीवन को नियन्त्रित ही नहीं पूरी तरह बाधित करने की भी शक्ति मिल जायेगी। अभी ही हम विभिन्न स्थानों पर मोबाइल या इण्टरनेट बन्द कर देने की ख़बरें पढ़ते हैं। लेकिन इसके बाद सत्ता के लिए मुमकिन होगा पूरे समूहों के तमाम सम्पर्कों को काट देना, उनके खातों पर रोक लगाकर उनके साधनों से, कुछ ख़रीद पाने तक से रोक देना, अर्थात जीवन की ज़रूरी सुविधाओं से वंचित करना। ख़ासतौर पर भारत की धर्म, जाति, आदि पूर्वाग्रहों-नफ़रत आधारित शासक वर्ग की राजनीतिक ताक़तों और उनके संरक्षण वाले गिरोहों के हाथ में ऐसे केन्द्रीय डाटा भण्डार बहुत ख़तरनाक सिद्ध हो सकते हैं। यह भी याद रखना चाहिए कि 1984 में दिल्ली और 2002 में गुजरात दोनों जगह शासक पार्टियों ने पुलिस-प्रशासन के संरक्षण में जिन भयानक हत्याकाण्डों को अंजाम दिया था, उनमें चुन-चुनकर व्यक्तियों और उनकी सम्पत्ति को निशाना बनाया गया था और इसमें वोटर लिस्ट और अन्य सरकारी जानकारियों का इस्तेमाल हुआ था।