पर्यावरणीय विनाश के लिए ज़िम्मेदार पूँजीपति वर्ग और उसकी मार झेलती मेहनतकश आबादी
मुट्ठीभर पूँजीपतियों ने मुनाफ़े की होड़ में जलवायु संकट को इतने भयानक स्तर पर पहुँचा दिया है कि पूँजीवादी दाता एजेंसियों के टुकड़ों पर पलने वाले ऑक्सफ़ैम जैसे एनजीओ को भी आज यह लिखना पड़ रहा है कि “करोड़पतियों की लूट और प्रदूषण ने धरती को विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। समूची इंसानियत आज अत्यधिक गर्मी, बाढ़ और सूखे से दम तोड़ रही है।” इस रिपोर्ट ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि पर्यावरण को बचाने का हमारा संघर्ष समाज में चल रहे आम वर्ग संघर्ष का ही एक हिस्सा है। पर्यावरण के क्षेत्र में चल रहे इस वर्ग संघर्ष में भी हम मज़दूर वर्ग को ही नेतृत्वकारी भूमिका निभानी होगी।