कुसुमपुर पहाड़ी में मेहनतकशों-नौजवानों की जीवन स्थिति पर एक छात्र की चिट्ठी
सुई से लेकर जहाज़ तक सब कुछ पैदा करने वाला मज़दूर वर्ग क्या पीढ़ी-दर-पीढ़ी इसी तरह शोषण की चक्की में पिसता रहेगा? कुसुमपुर में रहने वाले मेहनतकशों की अगली पीढ़ियाँ भी क्या इन्हीं नारकीय और अमानवीय परिस्थितियों में अपनी ज़िन्दगी काटेंगी? अगर इतिहास में चीज़ें बदली हैं तो क्या आगे भी मज़दूर वर्ग के हालात बदलेंगे? अगर बदलेंगे तो कैसे बदलेंगे? कौन बदलेगा उन्हें?