‘महान अक्टूबर क्रान्ति और इक्कीसवीं सदी की नयी समाजवादी क्रान्तियाँ : निरन्तरता और परिवर्तन के तत्व’ पर नयी दिल्ली में व्याख्यान
अक्टूबर क्रान्ति के नये संस्करणों को रचने के लिए जहाँ अक्टूबर क्रान्ति की समस्याओं की समझ अनिवार्य है, वही आज के दिक् और काल में दुनिया के पूँजीवादी समीकरण को समझना भी बेहद ज़रूरी है। आज दुनियाभर के देशों में उपनिवेश, अर्धउपनिवेशों जैसी स्थिति नहीं है और इन देशों में राष्ट्रीय जनवादी क्रान्ति के कार्यभार भी सम्पन्न हो चुके हैं इसीलिए आज के युग की क्रान्तियाँ चीन की नवजनवादी क्रान्ति जैसी नहीं होंगी। साथ ही, आज की क्रान्तियाँ अक्टूबर क्रान्ति की हु-ब-हु कार्बन कॉपी या नक़ल भी नहीं हो सकतीं।