पूर्व श्रम मन्त्री की फ़ैक्ट्री में श्रम क़ानून ठेंगे पर!
दाल मिल होने के कारण कारख़ाने में चारों तरफ फैली धूल से दमघोंटू माहौल हो जाता है और भयंकर गर्मी होती है। लेकिन न तो पर्याप्त मात्रा में एग्ज़ास्ट पंखे चलाये जाते हैं और न ही मज़दूरों को मास्क आदि दिये जाते हैं। मज़दूर ख़ुद ही मुँह पर कपड़ा लपेटकर काम करते हैं। मज़दूरों को ई.एस.आई., पीएफ़ जॉब कार्ड आदि कुछ भी नहीं मिलता। कुछ बोलो तो सुपरवाइज़र सीधे धमकाते हैं कि जानते नहीं हो, लेबर मिनिस्टर की फ़ैक्ट्री है! वैसे तो सभी कारख़ाना मालिक श्रम विभाग को अपनी जेब में लेकर घूमते हैं लेकिन जब मामला पूर्व श्रम मन्त्री की फ़ैक्ट्री का हो तो उधर भला कौन देखने की जुर्रत करेगा?