‘लव-जिहाद’ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जनसंख्या विज्ञान
एक धार्मिक समुदाय के बीच किसी दूसरे धार्मिक समुदाय के बारे में झूठा प्रचार करना फ़ासीवादियों तथा धार्मिक-दक्षिणपंथी शक्तियों का पुराना हथकण्डा रहा है। फिर यह कैसे हो सकता था कि इस मामले में भारत के संघी-मार्का फ़ासीवादी पीछे रह जायेँ। भाजपा के 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए पीएम उमीद्वार नरेन्द्र मोदी ने 2002 के गुजरात दंगों के बाद वहाँ हुए चुनाव के दौरान कहा था – “हम (मतलब हिन्दू) दो हमारे दो, वो (मतलब मुस्लिम) पाँच उनके पचीस।” इसके बाद 2004 में विश्व हिन्दू परिष्द के अशोक सिंघल ने हिन्दुओं के आगे परिवार नियोजन छोड़ने का ढोल पीटा। अशोक सिंघल यह तुर्रा बहुत पहले से छोड़ते आ रहे हैं, और भाजपाई सरकार वाले राज्यों में तो वह सरकारी मंच से यह मसला उछालते रहते हैं। पिछले 3-4 सालों में संघियों ने अपने इसी जनसंख्या विज्ञान को फिर से दोहराना शुरू कर दिया है, लेकिन अब वे इसे नए रंग में लपेट कर लाए हैं। पहले संघी संगठन मुसलमानों द्वारा अपनी जनसंख्या बढ़ाने का हौवा ही खड़ा करते थे, अब उन्होंने ने इसमें “लव-जिहाद” का डर भी जोड़ दिया है। संघियों के अनुसार मुसलमानों ने (यहाँ संघी मुस्लिम कट्ट्टरपंथी संगठन कहना भी वाजिब नहीं मानते क्योंकि संघियों के लिए सभी मुस्लिम लोग मुस्लिम कट्ट्टरपंथी संगठनों के सदस्य हैं) हिन्दू नवयुवतियों को प्यार के जाल में फँसाकर अपनी आबादी बढ़ाने के लिए मशीनों की तरह इस्तेमाल करने के लिए “लव-जिहाद” नामक “गुप्त” संगठित अभियान छेड़ा हुआ है।