बीसवीं सदी की दूसरी महानतम क्रान्ति मेहनतकश जनता के लिए प्रेरणा का अक्षयस्रोत बनी रहेगी!
चीन में क्रान्ति की यह हार चीनी जनता और पूरी दुनिया के सर्वहारा वर्ग के लिए एक भारी धक्का तो है, पर यह इतिहास का अन्त नहीं है। इतिहास का रास्ता ही कुछ ऐसा होता है – चढ़ावों-उतारों से भरा हुआ। अक्सर ऐसा होता रहा है कि रास्ता खोजने वाली महान क्रान्तियाँ हारती रही हैं और आगे की मुकम्मिल विजयी क्रान्तियों के लिए आधार तैयार करती रही हैं। आज की संकटग्रस्त, आक्रामक और मेहनतकश अवाम पर कहर बरपा करने वाली साम्राज्यवादी दुनिया फिर सर्वहारा वर्ग को आमन्त्रण दे रही है कि वह उस पर टूट पड़े और इस बार उसकी कब्र जरा गहरी खोदे। सर्वहारा क्रान्तियों के नये चक्र के लिए – इक्कीसवीं सदी के सर्वहारा यो(ओं के लिए बीसवीं सदी की दोनों महानतम क्रान्तियों – सोवियत क्रान्ति और चीनी क्रान्ति की शिक्षाएँ बहुमूल्य होंगी, ये शिक्षाएं उनका हथियार होंगी।