शहीद उधम सिंह के 78वें शहादत दिवस (31 जुलाई 1940) के अवसर पर! शहीद उधम सिंह उर्फ़ राम मोहम्मद सिंह आज़ाद अमर रहें !
उधम सिंह हिन्दू, मुस्लिम और सिख जनता की एकता के कड़े हिमायती थे, इसीलिए उन्होंने अपना नाम बदलकर ‘राम मोहम्मद सिंह आज़ाद’ रख लिया था। वे इसी नाम से पत्र-व्यवहार किया करते थे और यही नाम उन्होंने अपने हाथ पर भी गुदवा लिया था। उन्होंने वसीयत की थी कि फाँसी के बाद उनकी अस्थियों को तीनों धर्मों के लोगों को सौंपा जाये। अंग्रेज़ों ने इस जाँबाज को 31 जुलाई 1940 को फाँसी पर लटका दिया। उधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को पंजाब प्रान्त के संगरूर जि़ले के सुनाम गाँव हुआ था। छोटी उम्र में ही माँ-बाप और बड़े भाई की मृत्यु की वजह से वह अनाथ हो गये। उनका लालन-पोषण अनाथालय में हुआ। इसके बावजूद भी जीवन के मुश्किल हालात उनके इरादों को डगमगा नही पाये। मैट्रिक की पढ़ाई कर उन्होंने अनाथालय छोड़ दिया और क्रान्तिकारियों के साथ मिलकर जंग-ए-आज़ादी के मैदान में कूद पड़े। 1924 में विदेशों में भारत की आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाली क्रान्तिकारी गदर पार्टी में सक्रिय रहे और विदेशों में चन्दा जुटाने का काम किया। उधम सिंह ने हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए), इण्डियन वर्कर्स एसोसिएशन आदि क्रान्तिकारी संगठनों के साथ अलग-अलग समय पर काम भी किया।