राष्ट्रीय पेंशन योजना : कर्मचारियों के हक़ों पर मोदी सरकार का एक और हमला
सरकारी कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा के नाम पर जो कुछ भी मिलता था, उसको भी ख़त्म कर देने की योजना है। 2014 में “अच्छे दिन” का सपना दिखाकर सत्ता में पहुँची फ़ासीवादी मोदी सरकार ने अपने 10 सालों के शासनकाल में आम मेहनतकश आबादी पर कहर ही बरपाया है। पिछले 5 सालों में मोदी सरकार पूँजीपतियों के 10.6 लाख करोड़ का कर्ज़ माफ़ कर चुकी है। जिसकी भरपाई आम जनता के जेब से कर रही है। लगतार अप्रत्यक्ष करों को बढ़ाकर महँगाई बढ़ाई जा रही है। विभागों के निजीकरण से रोज़गार का संकट और भी विकराल होता जा रहा है। मौजूदा पूँजीवादी व्यवस्था आर्थिक संकट के लाइलाज़ भँवरजाल में फँस चुकी है। 1990–91 में आर्थिक उदारीकरण–निजीकरण की नीतियाँ इसी भँवरजाल से निकल पाने की कवायद थीं। इन नीतियों के तहत सार्वजनिक उपक्रमों का तेजी से निजीकरण किया गया जिसका परिणाम है कि रोज़गार के अवसर तेजी से कम हुए और आज बेरोज़गारी विकराल रूप ले चुकी है।