इराकी जनता को तबाह करने के बाद अब इराक से वापसी का अमेरिकी ड्रामा
यह साम्राज्यवादी अन्धेरगर्दी, लफ्फाज़ी और बेशर्मी की इन्तहाँ है कि अमेरिका का राष्ट्रपति मंच से बोलता है कि इराकी जनता को मुक्त कर दिया गया है और वहाँ लोकतन्त्र की बहाली कर दी गयी है। यह अपना गन्दा और घायल चेहरा छिपाने के लिए दिया गया कथन मालूम पड़ता है। इराकी जनता ने भारी कुर्बानियों के बावजूद साम्राज्यवाद के विरुद्ध एक नायकत्वपूर्ण संघर्ष किया और अमेरिकी सैन्य गुण्डागर्दी के सामने घुटने नहीं टेके। और अन्तत: उन्होंने अमेरिकियों को अपने नापाक इरादे पूरे किये बग़ैर अपने देश से भगाने में सफलता हासिल करनी भी शुरू कर दी है। यह सच है कि इस थोपे गये साम्राज्यवादी युद्ध ने इराक को तबाह करके रख दिया है। इराक आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से बिखरी हुई स्थिति में है और अतीत में कई वर्ष पीछे चला गया है। लेकिन इराकी जनता ने यह साबित कर दिया है कि साम्राज्यवादी शक्ति के समक्ष कोई क्रान्तिकारी विकल्प न होने की सूरत में अगर जनता जीत नहीं सकती तो वह साम्राज्यवादी शक्तियों से हार भी नहीं मानती है। लेकिन साथ में इसका नकारात्मक सबक यह भी है कि आज साम्राज्यवादी हमले और कब्ज़े को उखाड़ फेंकने और उसे हरा देने की ताकत मज़दूर वर्ग की क्रान्तिकारी कम्युनिस्ट शक्तियों के नेतृत्व में ही हो सकता है।