क्रान्तिकारी मज़दूर शिक्षणमाला – 12 : मुद्रा का पूँजी में रूपान्तरण और पूँजीवादी माल उत्पादन
माल उत्पादन दास समाज व अन्य आरम्भिक वर्ग समाजों के गर्भ में ही पैदा हुआ और सामन्ती समाज के दौरान भी मौजूद रहा, लेकिन इन प्राक्-पूँजीवादी समाजों में वह उत्पादन का प्रधान रूप या पद्धति नहीं था। वह किसी अन्य उत्पादन पद्धति के मातहत था और उनमें सहयोजित था, जैसे कि दास उत्पादन पद्धति, सामन्ती उत्पादन पद्धति, आदि। श्रम के अधिकांश उत्पाद अभी माल नहीं बने थे। मसलन, सामन्ती समाज में श्रम के समस्त उत्पादों का बड़ा हिस्सा अभी माल नहीं बना होता है। भूदास व निर्भर किसान इस समय सामन्त की भूमि या सामन्त द्वारा आवण्टित भूमि पर खेती करते थे और उनके उत्पाद का एक बड़ा हिस्सा उनसे बेशी उत्पाद (surplus product) के तौर पर या उनका बेशी श्रम सामन्तों द्वारा हड़प लिया जाता था।