क्रान्तिकारी मज़दूर शिक्षणमाला – 24 : मार्क्सवादी राजनीतिक अर्थशास्त्र के सिद्धान्त – खण्ड-2 : अध्याय – 1 पूँजी के परिपथ (सर्किट)
पूँजीपति पूँजी लगाता है, माल ख़रीदता है, और फिर माल को उससे ज़्यादा क़ीमत पर बेचता है, जितनी क़ीमत पर उसने उसे ख़रीदा था। यानी, सस्ता ख़रीदना और महँगा बेचना। यह आम तौर पर पूँजी का सूत्र है। महज़ इस सूत्र से ही अभी हम बेशी मूल्य के स्रोत को और इस प्रकार मुनाफ़े के स्रोत को नहीं जान पाते हैं। यह सूत्र केवल संचरण के क्षेत्र में होने वाले औपचारिक रूपान्तरणों को ही अभिव्यक्त करता है। यानी, मुद्रा द्वारा माल का रूप लेना और फिर माल द्वारा मुद्रा का रूप लेना। यहाँ अभी हमें बेशी मूल्य के पैदा होने की पूरी प्रक्रिया के बारे में कुछ भी पता नहीं चलता है क्योंकि इस सूत्र में उत्पादन के क्षेत्र में होने वाले सारभूत परिवर्तनों के बारे में हमें अभी कुछ नहीं बताया जाता है, यानी बेशी मूल्य के उत्पादन के बारे में, मूल्य-संवर्धन के बारे में कुछ नहीं बताया जाता है। वह हमें केवल औद्योगिक पूँजी के समूचे परिपथ को देखकर ही पता चलता है।