जलवायु परिवर्तन और ग़रीब मेहनतकश आबादी
इन प्रदूषणों की मार सबसे अधिक ग़रीब मेहनतकश आबादी पर ही पड़ी है। क्योंकि पूँजीपति वर्ग के पास तो पानी से लेकर हवा तक को साफ करने के प्यूरीफायर मौजूद हैं! रसायन मुक्त, कीटनाशक मुक्त ऑर्गेनिक महँगा भोजन तक आसानी से उपलब्ध है! लेकिन आम मेहनतकश आबादी के पास इस तरह के न तो कोई साधन मौजूद हैं और न ही आर्थिक क्षमता है। उसे तो इसी जहरीले दमघोंटू हवा में साँस लेना है! प्रदूषित पानी पीना है! तमाम रसायन और कीटनाशकों से भरा हुआ मिलावटी भोजन लेना है! इसके अलावा ग्लोबल वार्मिंग के जो दूसरे ख़तरे प्राकृतिक आपदा के रूप में आ रहे हैं उसे भी झेलना है!