नौसेना विद्रोह – देश के मेहनतकशों की ऐतिहासिक विरासत
नौसेना विद्रोह का संघर्ष हमें दिखाता है कि किस तरह वास्तविक संघर्ष संगठित होने पर अंग्रेज़ों के साथ-साथ देसी हुक़्मरानों की भी नींद उड़ गयी थी। काँग्रेस के नेतृत्व में लड़ी गयी आज़ादी की लड़ाई में काँग्रेस ने कभी भी जनता की पहलक़दमी को निर्बंध होने नहीं दिया और उसको इसी व्यवस्था के भीतर सीमित करती रही तथा ‘समझौता-दबाव-समझौता’ की नीति के तहत राजनीतिक आज़ादी की लड़ाई को लड़ती रही। यदि जनता अपनी पहलक़दमी पर कोई आन्दोलन करती तो काँग्रेस उसके साथ वहीं रुख़ अपनाती थी जो उसने नौसेना विद्रोह के साथ अपनाया।