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We Won’t Give In! We Won’t Give UP!

On 25th March, we witnessed one of the most brutal, probably the most brutal lathi charge on workers in Delhi in at least last 2 decades. It is noteworthy that this lathi-charge was ordered directly by Arvind Kejriwal, as some Police personnel casually mentioned when I was in Police custody.

मोदी सरकार द्वारा श्रम कानूनों में बदलाव की कवायद के विरोध में देश भर के मज़दूरों का विशाल प्रदर्शन

संसद के वर्तमान सत्र में मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित श्रम कानूनों में बदलाव के विरोध में बिगुल मज़दूर दस्ता और देश भर से आये विभिन्न मज़दूर संगठनों तथा मज़दूर यूनियनों ने दिल्ली के जन्तर-मन्तर से संसद मार्ग तक मार्च किया और प्रधानमंत्री का पुतला दहन किया। इस प्रदर्शन में मज़दूरों ने विशाल संख्या में भागीदारी की।

Wide spread National protest demonstration by the workers of India against the Modi Government move to amend the existing Labour laws.

Bigul Mazdoor Dasta,other labour organizations and labour unions from across the country marched from Jantar mantar to Parliament street as a part of the protest demonstration against the Modi government’s move to amend the labour laws on 20.08.2014 and burnt an effigy of the Prime Minister.

मोदी सरकार का मज़दूरों के अधिकारों पर ख़तरनाक हमला

अगर देश का मज़दूर अपने ऊपर किये जा रहे इन हमलों का पुरज़ोर विरोध नहीं करता तो आने वाले समय में मज़दूरों से बंधुआ गुलामी करवाने के लिए मालिक वर्ग पूरी तरह आज़ाद हो जायेगा। श्रम कानूनों पर इन हमलों के ख़ि‍लाफ़ हम चुनावी पार्टियों की ट्रेड यूनियनों पर भरोसा नहीं कर सकते जो मोदी सरकार के तलवे चाटने का तैयार बैठी हैं। हमें स्वयं अपनी क्रान्तिकारी ट्रेड यूनियनों व मज़दूर संगठनों के ज़रिये इन हमलों का जवाब देना होगा। इसीलिए हम सभी मज़दूर भाइयों और बहनों को ललकारते हैं कि 20 अगस्त को मोदी सरकार के मज़दूर-विरोधी कदमों का मुँहतोड़ जवाब देने के लिए बड़ी से बड़ी संख्या में जन्तर-मन्तर पहुँचे।

भोंडसी जेल का एक दौरा जहाँ मारूति के 147 मज़दूर बिना अपराध सिद्धि के दो साल से कै़द हैं।

मई 2013 में जब मज़दूरों की पहली जमानती अर्जी ख़ारिज हुई थी तब हरियाणा और पंजाब उच्‍च न्‍यायालय ने टिप्‍पणी की थी कि ”श्रमिक अशान्ति के भय से विदेशी निवेशक भारत में पूँजी निवेश करने से मना कर सकते हैं”। यह मामला एक मिसाल की तरह इस्‍तेमाल किया जा रहा है। यदि आरोप साबित होते हैं तो सभी 147 मज़दूरों को सख्‍़त से सख्‍़त सजा होगी, यानी कि उनको दो दशकों से भी अधिक समय के लिए कै़द हो सकती है।

सभी बिरादर संगठन के साथियों के नामः ‘इंकलाबी मज़दूर केन्द्र’ के नये कुत्साप्रचार-पत्र के “तथ्यों” का सतथ्य व सप्रमाण खण्डन

इंमके के लोगों ने आत्मरक्षा में जो पत्र जारी किया है अगर उसके झूठ उन्होंने थोड़ा सोच समझकर गढ़े होते तो उनके लिए बेहतर होता। यहाँ तो उन्होंने अपना हरेक झूठ खुद ही बेनक़ाब कर दिया है।

गरम रोला कारखाने के मज़दूरों का जन्तर-मन्तर पर विशाल प्रदर्शन

आज वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र के गरम रोला कारखाने के मज़दूरों ने जन्तर-मन्तर पर विशाल प्रदर्शन किया। जन्तर-मन्तर से संसद मार्ग तक 500 की संख्या में मज़दूरों ने रैली निकाली और श्रम मंत्रालय तथा प्रधानमंत्री कार्यालय को अपना ज्ञापन सौंपा। ज्ञात हो कि पिछले बीस दिनों से गरम रोला कारखाने के मज़दूर गरम रोला मज़दूर एकता समिति के नेतृत्व में अपनी माँगों को लेकर हड़ताल पर हैं। गरम रोला एकता समिति के रघुराज ने बताया कि वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में सरेआम श्रम कानूनों का उल्लंघन होता है। लेबर कोर्ट पास में ही नीमड़ी काॅलोनी में है लेकिन ठीक उनकी नाक के नीचे मज़दूरों का शोषण बदस्तूर जारी है। इसलिए मज़दूर इन कारखानों में श्रम कानूनों को लागू करवाने की अपनी माँग को लेकर हड़ताल पर हैं। वजीरपुर का यह वही औद्योगिक क्षेत्र है जहाँ लोहे को पिघला कर स्टेनलेस स्टील बनायी जाती है। बेहद खतरनाक और जोखिम भरे माहौल में मज़दूरों को बारह से चौदह घण्टे खटना पड़ता है। यहाँ न तो कोई न्यूनतम मज़दूरी दी जाती है और न ही किसी तरह की कोई सुरक्षा है। आए दिन दुर्घटनायें होती रहती हैं।

मिंडा फ़रूकवा इलेक्ट्रिक कम्पनी में मज़दूरों का जुझारू संघर्ष

पूरे बावल क्षेत्र में पिछले 2 माह से अलग-अलग फ़ैक्टरियों के मज़दूर यूनियन बनाने की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे है चाहे वे एहरेस्टी के मज़दूरों हो या पास्को के। इसलिए ये बात साफ़ है कि आज पूरे गुड़गांव-मानेसर-धारुहेड़ा-बावल में मज़दूरों की कुछ साझा मांग बनाती है जैसे यूनियन बनाने की मांग, ठेका प्रथा खत्म करने की मांग या जबरन ओवरटाईम खत्म करने की मांग। ये सभी हमारी साझा मांगें है इसलिए इनके खिलाफ़ भी हमें साझा संघर्ष करना होगा क्योंकि हम सभी मज़दूर जानते है मालिकों-सरकार-पुलिस-प्रशासन गठजोड़ एकजुट होकर मज़दूरों के खिलाफ़ है और इनके खिलाफ़ सिर्फ़ एक फ़ैक्टरी के आधार पर नहीं जीता जा सकता है बल्कि पूरे आटो सेक्टर या पूरे इलाके के मज़दूरों की फ़ौलादी एकता कायम करके ही मज़दूर विरोधी ताकतों को मुंहतोड़ जबाव दिया जा सकता है। इसलिए हमें अपने फ़ैक्टरी संघर्ष के साथ ही पूरे आटो सेक्टर के मज़दूरों की एकता कायम करने की लम्बी लड़ाई में जुटाना होगा।

हज़ारों मज़दूरों ने निकाली विशाल रैली, तोड़-फोड़ करने वाले तत्वों को खदेड़ा, और की सामुदायिक रसोई की शुरुआत की घोषणा

आज दिनांक 20 जून 2014 को, गरम रोला मजदूर एकता समिति के नेतृत्‍व में जारी हड़ताल के 15वें दिन करीब 3 हज़ार मजदूरों ने श्रीराम चौक पर सुबह 9 बजे इकट्ठा होकर पूरे वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में रैली निकाल कर अपनी एकजुटता और जुझारूपन का परिचय दिया| रैली में लगभग 3000 मज़दूरों ने भाग लिया| इनमें गरम रोला एवं ठंडा रोला में काम करने वाले मज़दूर, तपाई का काम करने वाले मज़दूर और तेजाब का काम करने वाले सभी मज़दूर शामिल थे| इसके बाद, प्रत्येक दिन की भांति सभी मजदूर वजीरपुर के राजा पार्क में आगे की सभा चलाने के लिए एकत्रित हुए जहाँ हड़ताल में शामिल सभी मज़दूरों ने अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने का दृढ़ निश्चय लिया|

An Appeal to all justice-loving citizens and workers

They wish to break the workers through hunger. But these steel workers are holding on; they are fighting even with half-filled stomach to secure their legitimate, legal and constitutional rights. Are they demanding anything unjust? No! They are just demanding their lawful rights and are fighting for them even with half-filled stomach. Many workers’ households have begun to face severe food crisis. In order to tackle this situation the ‘Garam Rolla Mazdoor Ekta Samiti’ is starting a community kitchen from Saturday 21 June onwards. We are determined not to let the strike broken under any circumstance.