Category Archives: संघर्षरत जनता

निजीकरण के खिलाफ उत्तरांचल के विद्युत कर्मियों–अधिकारियों के संयुक्त संघर्ष का ऐलान

उत्तरांचल सरकार द्वारा राज्य के विद्युत विभाग का निजीकरण करने की कोशिशों के खिलाफ प्रदेश भर के विद्युत अभियन्ता एवं कर्मचारी एक बार फिर लामबंद हो गये हैं। विभाग की ज्यादातर यूनियनों ने संघर्ष का एक साझा मंच–“उत्तरांचल विद्युत कर्मचारी– अधिकारी संयुक्त संघर्ष समिति” बनाकर 9 फरवरी 2004 से चरणबद्ध संघर्ष की घोषणा कर दी है।

पंतनगर के मजदूर संघर्ष की राह पर – प्रशासन दमन पर आमादा

प्रशासन मजदूरों को गुमराह करने का असफल प्रयास भी कर रहा है। यहां की स्थिति एक बार फिर 1978 के ऐतिहासिक संघर्ष की याद दिला रही है और दमन के वैसे ही मंजर का अहसास करा रही है। निश्चित रूप से परिस्थितियां पहले से काफी भिन्न हैं। लेकिन इतिहास की यह एक कड़वी सच्चाई है कि दमन का पाटा जितना तेज चलता है मजदूरों का संघर्ष उतना ही निखरता जाता है।