Category Archives: संघर्षरत जनता

खट्टर सरकार द्वारा नर्सिंग छात्राओं पर बर्बर पुलिसिया दमन!

आज यह बात स्पष्ट है कि मौजूदा खट्टर सरकार भी पिछली तमाम सरकारों की तरह ही हरियाणा की आम जनता के हक़-अधिकारों पर डाका डाल रही है। असल में चुनाव से पहले किये जाने वाले बड़े-बड़े वायदे केवल वोट की फ़सल काटने के लिए ही होते हैं। गेस्ट टीचर, अस्थायी कम्प्यूटर टीचर, आशा वर्कर, रोडवेज़ कर्मचारी, मनरेगा मज़दूर, एनसीआर के औद्योगिक मज़दूर आदि आयेदिन अपनी जायज़-न्यायसंगत माँगों को लेकर सड़कों पर उतर रहे हैं लेकिन सरकार के कानों पर जूँ तक नहीं रेंग रही।

जम्मू में रहबरे-तालीम शिक्षकों पर बर्बर लाठीचार्ज!

13 अप्रैल को जम्मू में अपने बकाया वेतन जारी करने की माँग को लेकर आरईटी टीचरों नें जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी जम्मू स्थित सचिवालय का घेराव कर रहे रहबरे-तालीम शिक्षकों पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज किया। काफ़ी शिक्षक घायल हुए और चार शिक्षकों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया। इस प्रदर्शन में सर्व-शिक्षा अभियान के तहत लगे शिक्षक, एजुकेशन वॉलंटियर से स्थायी हुए शिक्षक और कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय के अध्यापक शामिल थे। इस श्रेणी के तहत नियुक्त अध्यापकों का एक से तीन वर्षों का वेतन बकाया था जिसके विरोध में यह प्रदर्शन किया गया था। इससे पहले जब शिक्षकों द्वारा सरकार व शिक्षा विभाग को बकाया वेतन जारी करने के लिए कहा गया तो वहाँ से सिवा कोरे आश्वासनों के कुछ नहीं मिला, इसलिए शिक्षकों ने सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया, परन्तु पुलिस ने शान्तिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर जमकर लाठियाँ बरसायीं जिसमें 10 शिक्षक घायल हुए।

ऑर्बिट बस काण्ड और बसों में बढ़ती गुण्डागर्दी के विरोध में पूरे पंजाब में विरोध प्रदर्शन

ऑर्बिट बस काण्ड विरोधी संघर्ष कमेटी, पंजाब ने माँग की है कि ऑर्बिट बस कम्पनी के मालिकों पर आपराधिक केस दर्ज हो, ऑर्बिट बस कम्पनी के सारे रूट रद्द कर पंजाब रोडवेज को दिये जायें, पंजाब का गृहमन्त्री सुखबीर बादल जो ऑर्बिट कम्पनी के मालिकों में भी शामिल है इस्तीफ़ा दे, इस मसले पर संसद में झूठा बयान देने वाली केन्द्रीय मन्त्री हरसिमरत कौर बादल भी इस्तीफ़ा दे, समूचे बादल परिवार की जायदाद की जाँच सुप्रीम कोर्ट के जज से करवायी जाये। प्राइवेट बस कम्पनियों द्वारा स्टाफ़ के नाम पर गुण्डे भर्ती करने पर रोक लगाने, बसों की सवारियों ख़ासकर स्त्रियों की सुरक्षा की गारण्टी करने के लिए काले शीशे और पर्दों पर पाबन्दी लगाने, अश्लील गीत, अश्लील फ़िल्में, ऊँचे हॉर्न से होने वाले ध्‍वनि प्रदूषण पर रोक लगाने आदि माँगें भी उठायी गयीं। इसके साथ ही फरीदकोट में ऑर्बिट बस काण्ड के खि़लाफ़ प्रदर्शन कर रहे नौजवान-छात्रों पर लाठीचार्ज व उन्हें हत्या के प्रयास के झूठे आरोपों में जेल में ठूँसने की सख्त निन्दा करते हुए ये केस रद्द करने व जेल में बन्द नौजवानों-छात्रों को रिहा करने की माँग उठायी गयी।

अमेरिका के फ़ास्ट फ़ूड कामगारों का संघर्ष

‘फ़ाइट फ़ॉर 15 डॉलर’ आन्दोलन की नींव वर्ष 2012 में तब पड़ी जब नवम्बर माह में मैकडॉनल्ड, सबवे, बर्गर किंग, केएफ़सी जैसी बड़ी फ़ास्ट फ़ूड कम्पनियों के कामगारों ने अपनी माँगों को लेकर न्यूयॉर्क शहर में विरोध प्रदर्शन एवं हड़तालें संगठित कीं। धीरे-धीरे वह आन्दोलन गति पकड़ता हुआ अमेरिका के 200 अन्य शहरों में फैल गया। नतीजतन बीती 15 अप्रैल को अलग-अलग पेशों के क़रीब 60,000 कामगार ‘फ़ाइट फ़ॉर 15 डॉलर’ के बैनर तले विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए

हेडगेवार अस्पताल के ठेका सफ़ाई कर्मचारियों के संघर्ष के आगे झुके अस्पताल प्रशासन और दिल्ली सरकार

डीएसजीएचकेयू की संयोजक शिवानी ने बताया कि हमारी मुख्य माँग तो यही है कि दिल्ली सरकार दिल्ली में नियमित प्रकृति के कार्य में ठेका प्रथा समाप्त करने के अपने वायदे को पूरा करे। उन्होंने कहा कि मज़दूरों की एकजुटता के चलते हमें आंशिक जीत तो मिली है पर हमारा संघर्ष अभी ख़त्म नहीं हुआ है; हमारी यूनियन ठेका प्रथा समाप्त करने की माँग को लेकर दिल्ली सरकार के अन्य अस्पताल के ठेका कर्मियों को गोलबन्द करेगी। दिल्ली स्टेट गवर्मेण्ट हॉस्पिटल कॉण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन ने इस जीत के बाद अब दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में ठेका प्रथा ख़त्म करवाने की माँग को लेकर सभी कर्मचारियों को एकजुट करने के लिए अभियान शुरू कर दिया है

25 मार्च की घटना के विरोध में देश के अलग-अलग हिस्सों में आम आदमी पार्टी के विरोध में प्रदर्शन

25 मार्च की घटना के विरोध दिल्ली, पटना, मुम्बई और लखनऊ में विरोध प्रदर्शन हुए। 1 अप्रैल को दिल्ली के वज़ीरपुर औद्योगिक क्षेत्र के मज़दूरों ने ‘दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन’ के नेतृत्व में सैंकड़ों की संख्या में मज़दूरों ने रैली निकाली और इलाके के आप विधायक राजेश गुप्ता का घेराव किया। लखनऊ में भी 28 मार्च के दिन कई जनसंगठनों ने मिलकर जीपीओ पर प्रदर्शन किया और केजरीवाल सरकार की निन्दा की। पटना में 5 अप्रैल को नौजवान भारत सभा और दिशा छात्र संगठन ने केजरीवाल का पुतला दहन किया और 25 मार्च की घटना के लिए लिखित माफ़ी की माँग की। मुम्बई में भी इसी दिन दादर स्टेशन के बाहर यूनीवर्सिटी कम्युनिटी फॉर डेमोक्रेसी एण्ड इक्वॉलिटी व नौजवान भारत सभा ने मिलकर प्रदर्शन किया और केजरीवाल सरकार के प्रति भर्त्सना प्रस्ताव पास किया। सूरतगढ़ में भी नौजवान भारत सभा के नेतृत्व में लोगों ने केजरीवाल सरकार का पुतला फूँका और विरोध प्रदर्शन किया।

हम हार नहीं मानेंगे! हम लड़ना नहीं छोड़ेंगे!

आम आदमी’ की जुमलेबाजी सिर्फ कांग्रेस और भाजपा से लोगों के पूर्ण मोहभंग से पैदा हुए अवसर का लाभ उठाने के लिए थी। चुनावों होने तक यह जुमलेबाजी उपयोगी थी। जैसे ही लोगों ने ‘आप’ के पक्ष में वोट दिया, किसी विकल्प के अभाव में, अरविंद केजरीवाल का असली कुरूप फासिस्ट चेहरा सामने आ गया।

वियतनाम में मज़दूरों की जुझारू एकजुटता ने ज़ुल्मी हुक़्मरानों को झुकाया

वियतनाम के मज़दूरों की यह हड़ताल इस मायने में महत्वपूर्ण रही कि मज़दूर केवल अपनी फैक्ट्री के मालिक के खि़लाफ़ ही नहीं बल्कि मालिकों के समूचे वर्ग की नुमाइंदगी करने वाली सरकार की नीतियों के खि़लाफ़ एकजुट हुए और उनकी माँगें सामाजिक सुरक्षा जैसे अहम मसले से जुड़ी थीं। वियतनाम जैसे देश में जहाँ मज़दूर आन्दोलन कम ही सुनने में आते हैं, इतनी बड़ी हड़ताल यह संकेत दे रही है कि भूमण्डलीकरण के दौर में नवउदारवादी नीतियों के खि़लाफ़ दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मज़दूर वर्ग का गुस्सा स्वतःस्फूर्त रूप से फूट रहा है।

केजरीवाल सरकार न्यूनतम वेतनमान लागू कराने की ज़िम्मेदारी से मुकरी

न्यूनतम वेतन देने के लिए फैक्ट्री मालिकों पर दबाव बनाने की जगह आम आदमी पार्टी की सरकार कहती है कि मज़दूर ऐसी जगह काम तलाशें जहाँ न्यूनतम वेतन मिलता हो। परन्तु दिल्ली में 70 लाख आबादी ठेके पर काम करती है, उसे न तो न्यूनतम वेतन मिलता है और न ही अन्य श्रम क़ानूनों के तहत मिलने वाली सुविधाएँ, वे कौन सी फैक्ट्री में काम तलाशें?

केजरीवाल सरकार को वादों की याद दिलाने दिल्ली सचिवालय पहुँचे ठेका मज़दूरों पर पुलिस का बुरी तरह लाठीचार्ज

शांतिपूर्वक अपनी बात को मुख्यमन्त्री तक ले जाने के इरादे से आये दिल्ली भर के मज़दूरों और आम मेहनतकश जनता को वहशी तरीक़े से पीटा गया। पुलिस के पुरुष कर्मियों ने महिलाओं को बुरी तरह पीटा जिसके कारण अनेक महिलाओं को गंभीर चोटें आयी, एक युवा महिला कार्यकर्ता की टांग टूट गयी और बहुत से लोगों के सर फूट गये। इतने पर भी दिल्ली पुलिस को चैन नहीं आया, रैपिड एक्शन फोर्स और दिल्ली पिुलस ने मिलकर मज़दूरों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, आँसू गैस के गोले बारिश की तरह बरसाए गये। प्रदर्शन में महिलायें व बच्चे भी शामिल थे मगर पुलिस ने उन्हें भी नहीं बक्शा।