Category Archives: संघर्षरत जनता

ढण्डारी अपहरण, बलात्कार व क़त्ल काण्ड की पीड़िता शहनाज़ की पहली बरसी पर श्रद्धांजलि समागम

शहनाज़ को 4 दिसम्बर को एक गुण्डा गिरोह ने मिट्टी का तेल डालकर आग लगाकर जला दिया था। इससे पहले शहनाज़ को 25 अक्टूबर को अगवा करके दो दिन तक सामूहिक बलात्कार किया गया। राजनीतिक सरपरस्ती में पलने वाले इस गुण्डा गिरोह के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में पुलिस ने बेहद ढिलाई बरती, पीड़ितों की ढंग से सुनवाई नहीं की गयी, रिपोर्ट लिखने और मेडिकल करवाने में देरी की गयी। बलात्कार व अगवा करने के दोषी 18 दिन बाद जमानत करवाने में कामयाब हो गये। गुण्डा गिरोह ने शहनाज़ और उसके परिवार को केस वापिस लेने के लिए डराया, जान से मारने की धमकियाँ दीं। 4 दिसम्बर को दिन-दिहाड़े सात गुण्डों ने उसे मिट्टी का तेल डालकर जला दिया। 9 दिसम्बर को उसकी मौत हो गयी। गुण्डा गिरोह के इस अपराध व गुण्डा-सियासी-पुलिस-प्रशासनिक नापाक गठजोड़ के ख़िलाफ़ हज़ारों लोगों द्वारा ‘संघर्ष कमेटी’ के नेतृत्व में विशाल जुझारू संघर्ष लड़ा गया था। जनदबाव के चलते दोषियों को सज़ा की उम्मीद बँधी हुई है। क़त्ल काण्ड के सात दोषी जेल में बन्द हैं। अदालत में केस चल रहा है। पुलिस द्वारा एफ़आईआर दर्ज करने में की गयी गड़बड़ियों के चलते अगवा व बलात्कार का एक दोषी जमानत पर आज़ाद घूम रहा है। इसके ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में अपील की गयी है और उसे भी जेल पहुँचाने की पुरज़ोर कोशिश की जा रही है।

नीमराना के ऑटो सेक्टर के मज़दूरों की लड़ाई जारी है…

आपको यह जानकर हैरत होगी कि मज़दूरों के धरने पर बैठने के फ़ैसले पर सबसे ज़्यादा आपत्ति श्रम विभाग या कम्पनी प्रबन्धन को नहीं बल्कि एटक को है। श्रम विभाग में अधिकारियों से हर रोज़ घण्टों बैठक करके एटक का नेतृत्व धरने पर बैठे मज़दूरों के पास यह निष्कर्ष लेकर पहुँचता है कि यहाँ पर धरने पर बैठने से कुछ नहीं होगा घर जाओ…

दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन के नेतृत्व में वज़ीरपुर के मज़दूरों और झुग्गीवासियों ने किया विधायक का घेराव

वज़ीरपुर में लगभग एक महीने से पानी की किल्लत झेल रहे वज़ीरपुर के मज़दूरों और झुग्गीवासियों ने 30 सितम्बर की सुबह वज़ीरपुर के विधायक राजेश गुप्ता का घेराव किया। वज़ीरपुर के अम्बेडकर भवन के आस पास की झुग्गियों में खुदाई के चलते 12 दिनों से पानी नहीं पहुँच रहा है, इस समस्या को लेकर मज़दूर पहले भी विधायक के दफ्तर गए थे जहाँ उन्हें 2 दिन के भीतर हालात बेहतर करने का वादा करते हुए लौटा दिया गया था मगर इसके बावजूद आम आदमी पार्टी की सरकार के विधायक ने कुछ नहीं किया । 30 सितम्बर की सुबह दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन के नेतृत्व में झुग्गीवासीयों और मज़दूरों ने इकट्ठा होकर राजेश गुप्ता का घेराव किया। चुनाव से पहले 700 लीटर पानी का वादा करने वाली इस सरकार के नुमाइंदे से जब यह पूछा गया कि पिछले 12 दिनों से कनेक्शन कट जाने के बाद पानी की सुविधा के लिए पानी के टैंकर क्यों नहीं मंगवाये गए तो उसपर विधायक जी ने मौन धारण कर लिया।

हरियाणा में बिजली के बढ़े हुए दामों के विरोध में प्रदर्शन!

नौजवान भारत सभा के बैनर तले आज बिजली के बढ़े हुए दामों के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया. शहर भर से आम आबादी बड़ी संख्या में उक्त प्रदर्शन में शामिल हुई. नौभास के संयोजक रमेश खटकड़ ने बताया कि हरियाणा में पिछले एक साल के अन्दर बिजली के दामों में बढ़ोत्तरी हुई है। अलग-अलग मदों में की गयी दामों की बढ़ोत्तरी 30 से 100 प्रतिशत तक की है। ध्यान रहे यह वही भाजपा है जो दिल्ली में चुनाव से पहले 30 प्रतिशत बिजली के दाम कम करने की बात कर रही थी। मोदी-खट्टर चुनाव में शोर मचा रहे थे ‘‘बहुत हुई महँगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार’। लेकिन सत्ता में आने बाद भाजपा सरकार ने महँगाई के सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिये हैं। मोदी सरकार ने 1.5 साल में ही रेल किराये में 14 प्रतिशत बढ़ोत्तरी कर दी, सभी वस्तुओं व सेवाओं पर सर्विस टैक्स को 14.6 प्रतिशत कर दिया। साथ ही दालों से लेकर प्याज के रेट आज आसमान छू रहे हैं। आज महँगाई की मार ने मध्यमवर्ग आबादी की भी कमर तोड़ दी है। अब जले पर नमक छिड़कते हुए बिजली के दामों को बढ़ाकर जनता की जेब पर सरेआम डाकेजनी है। ऐसे में पहले से ही महँगाई की मार झेल रही जनता के लिए यह ‘जले पर नमक छिड़कने’ के समान है

आंगनवाड़ी कर्मचारियों के जुझारू संघर्ष के आगे झुकी केजरीवाल सरकार!

अपनी दीर्घकालिक मांगों जैसे कि सरकारी कर्मचारी का दर्जा पाने, न्यूनतम वेतन, ई.एस.आई. व पी.एफ­. आदि के लिए आंगनवाड़ी कर्मचारी अपना संघर्ष जारी रखेंगे। मगर जैसा तमाम सरकारे करती हैं वैसा ही कुछ केजरीवाल सरकार ने भी किया। 3 दिन का समय बीत जाने के बाद भी सभी कर्मचारियों के बकाये वेतन का भुगतान नहीं किया गया जिसके चलते 9 अगस्त को जंतर मंतर पर दिल्ली स्टेट आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन ने सभी आंगनवाड़ी कर्मचारियों की एक आम सभा बुलाकर फिर से सरकार पर दबाव बनाने और आगे की रणनीति पर बातचीत की। इसके बाद 16 अगस्त को फिर से जंतर मंतर पर महाजुटान आयोजित कर केजरीवाल सरकार से उनके द्वारा स्वीकार की गयी तात्कालिक मांगों को जल्द से जल्द पूरा करने की मांग की गयी। साथ ही यूनियन की सदस्यता का विस्तार भी किया जा रहा है। मात्र 2 हफ्तों के भीतर 2500 लोगों ने यिूनयन की सदस्यता हासिल की है। दिल्ली स्टेट आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन आंगनवाड़ी कर्मचारियों के जायज हकों के लिए संघर्षरत है। अपनी मिली इस जीत आंगनवाड़ी कर्मचारियों में उत्साह और जोश है और सभी अपनी दीर्घकालिक मांगों को मनवाने के लिए संघर्ष करने के लिए तत्पर है।

लुधियाना में गुण्डागर्दी के ख़िलाफ़ मज़दूरों का संघर्ष

टिब्बा रोड मामले के ये दोषी व इनके साथियों से इस इलाके के लोग खासकर मज़दूर काफी परेशान हैं। मज़दूरों से मारपीट करना, उनसे पैसे-मोबाइल छीन लेना, लड़कियाँ छेड़ना आदि इनका रोज़मर्रा का काम है। पुलिस के पास शिकायतें होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब फिर पुलिस इस लूट-मार की घटना को आपसी झगड़े का मामला बताकर इन गुण्डों को बचाने में लगी है। इलाके का एक अकाली नेता व कुछ अन्य व्यक्ति गुण्डों की मदद कर रहे हैं। मज़दूरों के अलावा बाकी स्थानीय आबादी गुण्डों के ख़िलाफ़ खुलकर सामने नहीं आ रही लेकिन गुण्डागर्दी के ख़िलाफ़ मज़दूरों के संघर्ष से लोग काफी खुश हैं।

लुधियाना में भारती डाइंग मिल में हादसे में मज़दूरों की मौत और इंसाफ़ के लिए मजदूरों का एकजुट संघर्ष

मजदूरों की मौत होने के बाद भी मालिक ने अमानवीय रुख नहीं त्यागा। मालिक ने पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने से साफ़ इनकार कर दिया। निरंजन के रिश्तेदारों को मालिक ने अपने घर बुलाकर बेइज्ज़त किया। मुआवजे के नाम पर वह दोनों परिवारों को 25-25 हजार देने तक ही तैयार हुआ। पीड़ित परिवारों ने मालिक को कहा कि उन्हें भीख नहीं चाहिए बल्कि अपना हक चाहिए। मालिक ने उचित मुआवजा देने से देने से साफ मना कर दिया। सुरेश का परिवार कहाँ गया, उसका इलाज कब और कहाँ किया गया इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। निरंजन का परिवार उत्तर प्रदेश से काफी देर से 30 को ही लुधियाना पहुँचा। जान-पहचान वाले अन्य मजदूरों ने पुलिस के पास जाकर इंसाफ़ लेने की सोची।

आशा वर्कर्स और आँगनवाड़ी के कर्मचारियों ने किया दिल्‍ली विधान सभा का घेराव

इस चेतावनी रैली के ज़रिये आशा वर्कर्स और आँगनवाड़ी के कर्मचारियों ने केजरीवाल सरकार के समक्ष यह साफ़ कर दिया है कि जब तक उनकी माँगों को स्वीकार नहीं किया जाता, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। बिगुल मज़दूर दस्ता आशा वर्कर्स और आँगनवाड़ी के कर्मचारियों के इस संघर्ष में लगातार उनका समर्थन कर रहा है। ज्ञात हो कि 14 जुलाई को केजरीवाल सरकार का एक प्रतिनिधिमण्डल हड़तालकर्मियों से मिला था, पर सरकार के इन नुमाइन्दों ने दिलासा देने के अलावा कोई ठोस आश्वासन देना ज़रूरी नहीं समझा, जिसके बाद कर्मचारियों ने एकमत से यह तय किया कि वह एक चेतावनी रैली निकालकर केजरीवाल सरकार को यह चेता देंगे कि उन्हें कोरे दिलासे नहीं बल्कि ठोस कार्यवाही और अपनी माँगों की स्वीकृति चाहिए। आशा वर्कर्स और आँगनवाड़ी के कर्मचारियों ने आज यह घोषणा की कि अगर सरकार जल्द से जल्द उनकी माँगों की सुनवाई नहीं करती है तो अगली बार वह दिल्ली सचिवालय का घेराव करेंगे।

चीन के प्रदूषणकारी कारख़ानों के खि़लाफ़ हज़ारों लोग सड़कों पर

पिछले महीने के आखि़र में चीन के दक्षिण पश्चिमी शंघाई के ज़िले जिनशान में दसियों हज़ार लोग सरकार के विरोध में सड़कों पर उतर आये। दरअसल, मुद्दा सरकार द्वारा जिनशान में एक ज़हरीले रासायन पैराज़ायलिन (पीएक्स) के निर्माण के लिए प्लाण्ट लगाये जाने का था। सरकार की मंशा गाओकियाओ औद्योगिक पार्क से पैराज़ायलिन के प्लाण्ट को जिनशान में लाने की थी। जैसे ही लोगों को सरकार की इस योजना का पता चला, उन्होंने जिनशान की सरकारी इमारतों का घेराव शुरू कर दिया। उनके हाथों में “पीएक्स बाहर जाओ!”, “हमें हमारा जिनशान वापिस दो!” जैसे नारों वाली दफ्ति‍याँ थीं। सरकार ने स्थानीय मीडियापर दबाव बनाकर प्रदर्शन की ख़बर के “ब्‍लैकआउट” की पूरी कोशिश की। लेकिन जैसे-जैसे ख़बर फैलती गयी विरोध प्रदर्शन तेज़़ होते गये। लोगों की संख्या 50,000 तक पहुँच गयी।

पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट की नर्सों की हड़ताल

हड़ताल पर बैठी नर्सों की माँग है कि छठे वेतन आयोग की सिफ़ारिशों के अन्तर्गत आने वाले सभी लाभ उन्हें दिये जाये, साथ ही बोनस, मरीज भत्ता और जोखिम भत्ता भी मुहैया कराया जाये। पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट के प्रशासन के दबाव के बावजूद भी नर्सें अपनी हड़ताल को बहादुरी के साथ आगे बढ़ा रही हैं। दिल्ली स्टेट गवर्नमेण्ट हॉस्पिटल कॉण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन की तरफ़ से नर्सों के इस संघर्ष में अपना समर्थन देते हुए शिवानी ने कहा कि स्थायी नर्सों के इस संघर्ष में अन्य सरकारी अस्पतालों में काम कर रहे संविदा कर्मचारी भी उनके साथ हैं।