Category Archives: समाज

वैश्विक भूख सूचकांक : भारत में भूख से जूझता मेहनतकश

जहाँ एक तरफ़ तो भारत में हर साल अरबपतियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है वहीं दूसरी तरफ़ ग़रीब और भी ग़रीब होता जा रहा है। बेरोज़गारी लगातार बढ़ती जा रही है। कोरोना-काल में एक तरफ़ इस देश के मज़दूर आबादी ने अभूतपूर्व विपत्तियों को झेला, दाने-दाने को मोहताज़ हुई वहीं फ़ोर्ब्स पत्रिका द्वारा 2020 के अरबपतियों की सूची में भारत के 9 नये नाम और जुड़ गये हैं। कोरोना-काल में जहाँ पूरे देश में आर्थिक मन्दी छायी रही; मज़दूर और ग़रीब आदमी की आमदनी ठप्प हो गयी, उसके रोज़गार छिन गये; वहीं देश के सबसे बड़े पूँजीपति मुकेश अम्बानी की आमदनी में 73 प्रतिशत का और गौतम अडानी की सम्पत्ति में 61 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ।

जनता की भुखमरी और बेरोज़गारी के बीच प्रधानमंत्री की अय्याशियाँ

आज देश की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट जारी है, वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत नेपाल, म्यामार और श्रीलंका जैसे देशों से भी पीछे जा चुका है, देश में बेरोज़गारी की हालत पिछले 46 सालों में सबसे बुरी है, लोगों के रहे-सहे रोज़गार भी छिन गये हैं, महँगाई आसमान छू रही है, मेहनत-मज़दूरी करने वाले लोग मुश्किल से गुज़ारा कर रहे हैं। मगर ख़ुद को प्रधानसेवक कहने वाले हमारे प्रधानमंत्री महोदय बड़ी ही बेशर्मी के साथ आये दिन ऐय्याशियों के नये-नये कीर्तिमान रच रहे हैं।

हाथरस और बलरामपुर जैसी बर्बरता का ज़ि‍म्‍मेदार कौन? मज़दूर वर्ग उससे कैसे लड़े?

हाथरस में एक मेहनतकश घर की दलित लड़की के साथ बर्बर बलात्कार और उसके बाद उसकी जीभ काटकर और रीढ़ की हड्डी तोड़कर उसकी हत्या कर दी गयी। इस भयंकर घटना ने हरेक संवेदनशील इन्सान को झकझोर कर रख दिया है। अभी इस घटना की पाशविकता और बर्बरता पर लोग यक़ीन करने की कोशिश ही कर रहे थे कि उत्तर प्रदेश के ही बलरामपुर में भी ऐसी ही एक भयंकर घटना ने लोगों को चेतन-शून्य बना दिया। हर इन्सान अपने आप से और इस समाज से ये सवाल पूछ रहा है कि हम कहाँ आ गये हैं? क्यों बढ़ रही हैं ऐसी भयावह घटनाएँ? कौन है इन घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार? दुश्मन कौन है और लड़ना किससे है?

बेरोज़गारी की वजह से आत्महत्याओं में भारी बढ़ोत्तरी

भयावह बेरोज़गारी और ग़रीबी में बढ़ोत्तरी के कारण भारत में दिहाड़ी मज़दूरों की आत्महत्या की घटनाएँ भी बढ़ रही हैं। 2019 में देश में हुई कुल आत्महत्याओं में दिहाड़ी मज़दूरों का हिस्सा 23.4 प्रतिशत रहा। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल की तुलना करें तो यह छह साल पहले के मुक़ाबले दोगुना है। देश में 2019 में कुल 139,123 लोगों ने आत्महत्या की। इनमें 32,563 लोग दिहाड़ी मज़दूर थे।

महामारी के दौर में भी जारी हैं दलितों पर हमले और अपमान

विगत 19 जुलाई को उत्तरप्रदेश के आगरा जनपद में ककरपुरा नामक गाँव में दलित जाति की महिला के शव को शमशान घाट पर चिता से ही उतरवा दिया गया क्योंकि यह शमशान घाट तथाकथित ऊँची जाति वालों का था। 18 जुलाई को कर्नाटक के विजयपुरा में एक दलित व्यक्ति और उसके परिजनों को तथाकथित ऊँची जाति के लोगों की भीड़ के द्वारा बेरहमी से पीटा गया और निर्वस्त्र करके घुमाया गया।

कोरोना महामारी और लॉकडाउन: ज़िम्मेदार कौन है? क़ीमत कौन चुका रहा है?

दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। ये शब्द लिखे जाने तक 9 लाख 20 हज़ार से ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं, जिनमें से क़रीब 80 हज़ार मौतें भारत में हुई हैं। दुनिया में अब तक लगभग 3 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से 2 करोड़ 10 लाख ठीक हो गये हैं। भारत में कुल संक्रमित लोगों की संख्या अब तक 48 लाख पार कर चुकी है, जिनमें से क़रीब 38 लाख लोग ठीक हुए हैं। हालाँकि जो लोग ठीक हो रहे हैं उनमें से भी बहुतों को कई तरह की गम्भीर परेशानियाँ हो जा रही हैं।

ट्रम्प की भारत यात्रा : “गुजरात मॉडल” की सच्चाई दीवारों के पीछे छिपाये न छिपेगी

पिछली 24-25 फ़रवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान अहमदाबाद में ट्रम्प के रोड शो का आयोजन किया गया। चूँकि इस रोड शो के रास्ते के कुछ हिस्से में ग़रीबों की झोंपड़पट्टियाँ भी आ रही थीं, इसलिए फटाफट 500 मीटर लम्बी दीवार खड़ कर दी गयी ताकि ट्रम्प को “न्यू इण्डिया” का ही दर्शन हो पाये और असली भारत दीवार के पीछे छिप जाये।

‘बच्चों का कारख़ाना’

पूँजीवाद अपने जन्मकाल से ही हर चीज़ को बिकाऊ माल में तब्दील करने की फ़‍िराक में रहता है। इंसानी रिश्‍ते-नाते और भावनाएँ तक ख़रीदफ़रोख्‍़त की चीज़ बन जाती हैं। लेकिन अब मुनाफ़े की अन्धी हवस में पूँजीवाद इतना गिर चुका है कि वह बच्चा पैदा करने की एक फ़ैक्टरी तक खोलने लगा है जिसमें महिलाओं और बच्चों की ख़रीदफ़रोख्‍़त होती है। नाइजीरिया के दक्षिणी-पश्चिमी राज्य आगन में ऐसी ही एक ‘बेबी फैक्ट्री’ हाल में पकड़ी गयी।

बेरोज़गारी का दानव लील रहा है युवा ज़ि‍न्दगि‍याँ

राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो (एनसीआरबी) के आँकड़ों के मुताबिक 2018 में हर दिन औसतन 35 बेरोज़गारों और स्वरोज़गार से जुड़े 36 लोगों ने ख़ुदकुशी की। कुल मिलाकर 2018 में बेरोज़गार और स्वरोज़गार से जुड़े 26,085 लोगों ने जीवन से निराश होकर आत्महत्या कर ली!

इधर ग़रीबों-मज़दूरों की थाली से रोटियाँ ग़ायब, उधर मोदी-गोदी मीडिया के नक़्शे से ग़रीबी ही ग़ायब!

जुलाई 2019 में आयी विश्व खाद्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 19 करोड़ 44 लाख लोग अल्पपोषित हैं, यानी देश के हर छठे व्यक्ति को मनुष्य के लिए ज़रूरी पोषण वाला भोजन नहीं मिलता। इसी तरह वैश्विक भूख सूचकांक 2019 के मुताबिक़ भूख और कुपोषण के मामले में भारत 117 देशों में 102वें स्थान पर है, जबकि श्रीलंका (66), बंगलादेश (88) और पाकिस्तान (94) भी हमसे ऊपर हैं।