लाइलाज मर्ज़ से पीड़ित पूँजीवाद को अज़ीम प्रेमजी की ख़ैरात की घुट्टी
अज़ीम प्रेमजी को जनता से अगर इतना ही प्यार होता तो वे मोदी सरकार पर यह कटौती न करने के लिए दबाव बना सकते थे। मोदी सरकार ने अब तक के अपने कार्यकाल में जितने जनविरोधी क़दम उठाये हैं उनके विरुद्ध आवाज़़ उठा सकते थे। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अज़ीम प्रेमजी एक पूँजीपति हैं और वह अच्छी तरह जानते हैं कि उनकी तथा उनके भाई-बन्धुओं की कमाई मज़दूरों के शोषण पर टिकी है। और लूट की कमाई खाने की उनकी आदत ने दुनिया की मेहनतकश आबादी को बदहाल कर दिया है। यही वजह है कि दुनियाभर में मज़दूरों के स्वयंस्फूर्त संघर्ष फूट रहे हैं। इन्हीं बदलते हालातों से भयभीत अज़ीम प्रेमजी तथा उनके जैसे अन्य पूँजीपति ख़ैरात बाँटने में लग गये हैं।