हरियाणा पुलिस का दलित विरोधी चेहरा एक बार फिर बेनकाब
दलित उत्पीड़न के मामलों का समाज के सभी जातियों के इंसाफ़पसन्द लोगों को एकजुट होकर संगठित विरोध करना चाहिए। अन्य जातियों की ग़रीब आबादी को यह बात समझनी होगी की ग़रीब मेहनतकश दलितों, ग़रीब किसानों, खेतिहर मज़दूरों और समाज के तमाम ग़रीब तबके की एकजुटता और उसके अन्याय के विरुद्ध संघर्ष के बूते ही हम दलित विरोधी उत्पीड़न का मुकाबला कर सकते हैं। उन्होंने कहा – सवर्ण और मँझोली जातियों की ग़रीब-मेहनतकश आबादी को इस बात को समझना होगा कि यदि हम समाज के एक तबके को दबाकर रखेंगे, उसका उत्पीड़न करेंगे तो हम खुद भी व्यवस्था द्वारा दबाये जाने और उत्पीड़न के विरुद्ध अकेले लड़ नहीं पायेंगे। और दलित जातियों की ग़रीब-मेहनतकश आबादी को भी यह बात समझनी होगी कि तमाम तरह की पहचान की राजनीति, दलितवादी राजनीति से हम दलित उत्पीड़न का मुकाबला नहीं कर सकते। दलितों का वोट की राजनीति में एक मोहरे के सामान इस्तेमाल करने वाले लोग केवल रस्मी तौर पर ही मुद्दों को उछालते हैं और उन मुद्दों का वोट बैंक की राजनीति के लिए इस्तेमाल करते हैं। इनके लिए कार्टून महत्वपूर्ण मुद्दा बन जाता है किन्तु दलित उत्पीड़न के भयंकर मामलों के समय ये बस बयान देकर अपने-अपने बिलों में दुबक जाते हैं।