राष्ट्रीय अनुसूचित-जाति आयोग का भी दलित-विरोधी चेहरा उजागर हुआ
दलित-उत्पीड़न इस घटना का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग के सदस्य ईश्वर सिंह ने गांव के दौरे के दौरान दोषियों को सजा दिलवाने का आश्वासन दिया था। लेकिन पिछले डेढ़ माह की कार्रवाई के बाद एससी/एसटी आयोग का भी दलित विरोधी चेहरा उजागर हो गया है। पहले तो आयोग द्वारा पहली सुनवाई की तारीख को परिवार को देर से सूचित किया गया ताकि पुलिस-प्रशासन मामले को समझौते में निपटा दे जैसा किप्राय: हरियाणा में दलित उत्पीड़न की घटना में होता है। इस कारण हरियाण पुलिस बार-बार परिवार के बयान लेने के बहाने चक्कर लगवाती रही ताकि परिवार-जन थककर मुआवजा लेकर शांत बैठ जायें। लेकिन परिवार-जन और अखिल भारतीय जातिविरोधी मंच ने ऋषिपाल के न्याय के संघर्ष के सख्त कदम उठाने की ठान रखी थी, इसलिए पुलिस-प्रशासन का प्रयास असफल रहा। इसके बाद एससी/एसटी आयोग ने दूसरी सुनवाई पर परिवार-जन, मामले की जाँच कर रहे पुलिस अधिकारियों को तलब किया। परिवार-जन को उम्मीद थी कि देश की राजधानी के एससी/एसटी आयोग में न्याय मिलेगा। लेकिन एससी/एसटी आयोग हरियाणा के ईश्वर सिंह ने एकतरफा सुनवाई में परिवार को दोषी पुलिसकर्मियों पर से केस वापस लेने के लिए डराया-धमकाया और मुआवज़ा वापस लेने की धौंस जमाई। आयोग के सदस्य ईश्वर सिंह की बदनीयत का इस से भी पता चलता है कि उन्होंने सुनवाई में दलित परिवार की क़ानूनी मदद के लिए आये वकील को भी बाहर कर दिया। वैसे हरियाणा में विपक्ष पार्टी होने के कारण कांग्रेस से जुड़े नेता ईश्वर सिंह भाणा गाँव के दौरे में लम्बी-चौडी़ बातें कर रहे थे लेकिन आयोग के बन्द कमरे में नेता जी ने बता दिया कि वह भी पुलिस-प्रशासन और दबंगों के साथ हैं।