मार्क्स की ‘पूँजी’ को जानिये : चित्रांकनों के साथ (पाँचवी किस्त)
सबसे पहले तो मज़दूर अपना काम उस पूँजीपति के नियंत्रण में करता है जो उसके श्रम का मालिक होता है। पूँजीपति इसका पूरा ध्यान रखता है कि काम ठीक ढंग से किया जाए, और उत्पादन के साधनों का उचित उपयोग हो सके। वह इसका ध्यान रखता है कि कोई भी कच्चा माल बेकार न जाए, और श्रम के किसी औजार में कोई ख़राबी न आए। इनमें से बाद वालों का इस्तेमाल उसी हद तक करना होता है जिस हद तक वे श्रम की प्रक्रिया में आवश्यक होते हैं।