नकली देशभक्ति का शोर और सेना के जवानों की उठती आवाज़ें
इंसाफ़ और न्याय की इज़्ज़त करने वाले हर भारतीय का यह फ़र्ज़ बनता है कि वे यह देखें कि भारत की सेना के सिपाही की वर्दी के पीछे मज़दूर-किसान के घर से आने वाला एक ऐसा नौजवान खड़ा है जिसका इस्तेमाल उसी के वर्ग भाइयों के प्रतिरोध को कुचलने के लिए किया जाता है और बदले में वह अपने अफ़सरों के हाथों स्वयं वर्ग-उत्पीड़न का शिकार भी बनता है। आवाज़ उठाने वाले सैनिकों को देशभक्ति और देशद्रोही के चश्मे से देखना बन्द कर दिया जाना चाहिए और उनकी हर जायज़ जनवादी माँग का समर्थन करते हुए भी उनकी सेना के हर जनविरोधी दमनकारी कार्यवाही का डटकर पर्दाफ़ाश और विरोध किया जाना चाहिए।