मेहनतकश जन जागो! अपना हक लड़कर माँगो!!
‘गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति’ का मानना है कि आज हमें एक ओर सेक्टरगत यूनियनें (जैसे कि समस्त ऑटोमोबाइल मज़दूरों की एक यूनियन, समस्त टेक्सटाइल मज़दूरों की एक यूनियन, आदि) बनानी होंगी जो कि समूचे सेक्टर के मज़दूरों को एक साझे माँगपत्रक पर संगठित करें। वहीं हमें समूचे गुड़गाँव-मानेसर के इलाके में मज़दूरों की एक इलाकाई मज़दूर यूनियन भी बनानी होगी, जो कि इस इलाके में रहने वाले सभी मज़दूरों की एकता कायम करती हो, चाहे वे किसी भी सेक्टर में काम करते हों। ऐसी यूनियन कारखानों के संघर्षों में सहायता करने के अलावा, रिहायश की जगह पर मज़दूरों के नागरिक अधिकारों जैसे कि शिक्षा, पेयजल, चिकित्सा आदि के मुद्दों पर भी संघर्ष करेगी। जब तक सेक्टरगत और इलाकाई आधार पर मज़दूरों के ऐसे व्यापक और विशाल संगठन नहीं तैयार होंगे, तब तक उस नग्न तानाशाही का मुकाबला नहीं किया जा सकता है, जोकि हरियाणा में मज़दूरों के ऊपर थोप दी गयी है।





















