जनवादी अधिकार आन्दोलन के एक अग्रणी संगठनकर्ता के रूप में प्रो. बालगोपाल विगत लगभग पच्चीस वर्षों से आन्ध्र प्रदेश में सक्रिय थे। एक दशक पहले काकतीय विश्वविद्यालय में प्राध्यापक की नौकरी छोड़कर उन्होंने वकालत की शुरुआत की थी। 1980 के दशक में ‘आन्ध्र प्रदेश सिविल लिबर्टीज़ कमेटी’ (ए-पी-सी-एल-सी) के गठन के समय से ही वे उसमें सक्रिय थे। गिरफ्तारी, फ़र्जी मुक़्दमों और पुलिसिया आतंक झेलने की क़ीमत चुकाने के बावजूद बालगोपाल नक्सलवाद के दमन के नाम पर आम जनता पर पुलिसिया आतंक राज क़ायम करने, फ़र्जी मुठभेड़ों, पुलिस हिरासत में यन्त्रणा और मौतों, फ़र्जी मुक़दमों और क़ाले क़ानूनों के विरुद्ध लगातार निर्भीकतापूर्वक आवाज़ उठाते रहे। नक्सलवादी क़ैदियों को राजनीतिक बन्दी का अधिकार दिलाने के लिए भी वे लगातार संघर्ष करते रहे।