करावलनगर के बादाम उद्योग का मशीनीकरण
मशीनीकरण करावलनगर के बादाम उद्योग का मानकीकरण करेगा और उसे देर-सबेर कारख़ाना अधिनियम के तहत लायेगा। मशीनीकरण मज़दूरों की राजनीतिक चेतना को बढ़ाने में एक सहायक कारक बनेगा और मशीन पर काम करने वाली मज़दूर आबादी मालिकों और ठेकेदारों के लिए अकुशल मज़दूर के मुक़ाबले कहीं ज्यादा अनिवार्य होगी। अकुशल मज़दूर आसानी से मिल जाता है, लेकिन एक ख़ास प्रकार की मशीन को सही तरीक़े से चला सकने वाला मज़दूर सड़क पर घूमता नहीं मिल जाता। ऐसे में, मज़दूरों की सामूहिक मोल-भाव की ताक़त पहले के मुक़ाबले कहीं ज्यादा होगी। मशीनीकरण के शुरू होने के समय मज़दूर आतंकित थे कि अब मालिक गरज़मन्द नहीं रहा और अब उनकी ताक़त कम हो गयी है। लेकिन अब मज़दूर इस बात को समझने लगे हैं कि मशीनीकरण के कारण होने वाली छँटनी के बाद जो कटी-छँटी मज़दूर आबादी बचेगी, वह कहीं ज्यादा ताक़तवर और संगठित होगी और साथ ही मालिकों के लिए कहीं ज्यादा ज़रूरी होगी। इस रूप में मशीनीकरण ने बादाम उद्योग के साथ-साथ बादाम मज़दूरों के संगठन को भी एक नयी मंज़िल में पहुँचा दिया है।