दिल्ली मेट्रो की दुर्घटना में मज़दूरों की मौत का जिम्मेदार कौन?
दरअसल इस दुर्घटना को हादसा कहना ही ग़लत है। यह सीधे-सीधे उन बेगुनाह मजदूरों की हत्या है जो इसमें मारे गये हैं। इन मजदूरों को मेट्रो प्रशासन अपना कर्मचारी मानने से इंकार करके गैमन कम्पनी का कर्मचारी बताता है ताकि उनकी मौत की जिम्मेदारी से हाथ झाड़ सके। निर्माण मजदूरों को कहीं भी मेट्रो प्रशासन ने कोई कर्मचारी पहचान कार्ड तक नहीं मुहैया कराया है। श्रम कानूनों को ताक पर रखकर इन मजदूरों से 12 से 15 घण्टे तक काम कराया जाता है। इन्हें न तो न्यूनतम मजदूरी दी जाती है और कई बार साप्ताहिक छुट्टी तक नहीं दी जाती। सरकार और मेट्रो प्रशासन ने दिल्ली का चेहरा चमकाने और कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए ठेका कम्पनियों को मजदूरों से जानवरों की तरह काम लेने की पूरी छूट दे दी है। मजदूरों से अमानवीय स्थितियों में काम कराया जाता है। उनके काम की स्थितियों और सुरक्षा उपायों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।