बंगाल के अकाल पर नयी पुस्तक : ब्रिटिश साम्राज्यवादियों के बर्बर युद्ध-अपराध पर नयी रोशनी
चर्चिल की नीतियों ने बंगाल के अकाल को जन्म दिया। गाँव के गाँव वीरान हो गये। कलकत्ता की सड़कें लाशों से पटने लगीं। शोरबे और दलिया के लिए जगह-जगह सैकड़ों चलते-फिरते अस्थिपंजर लाइन लगाकर खड़े रहते थे और कई वहीं मर जाते थे। लाखों बेसहारा बच्चे सड़कों पर भटक रहे थे। भूखी माँओं ने अपने बच्चों को ज़िन्दा रखने के लिए शरीर बेचना शुरू किया। वेश्यालयों में भीड़ लग गयी। स्थिति ऐसी हो गयी कि कुलीन मध्य वर्ग के लोग भी इस हालात से निबटने के उपायों पर बात करने लगे। सड़कों पर सड़ती लाशों, अधमरे लोगों और दावतें उड़ाते कुत्तों को देख-देखकर उन्हें भी परेशानी होने लगी। हालाँकि उस समय भी कलकत्ता के ऊँचे दर्ज़े के होटलों में पाँच कोर्स वाले भव्य लंच-डिनर परोसे जा रहे थे।