आर.एस.एस. और बी.एम.एस. के मई दिवस विरोध के असली कारण
मई दिवस द्वारा अपने वाजिब हक के लिये लडने के संदेश को ‘अच्छा नहीं’ कहने वाला संगठन आखिर विश्वकर्मा जयंती से मज़दूरों को क्या संदेश देना चाह्ता है? ये मज़दूरों को बताते हैं कि मालिक लोग अपनी मेहनत व प्रतिभा से उद्योग लगाते हैं, उससे मज़दूरों को रोजगार मिलता है, उनके परिवारों की रोजी-रोटी चलती है; इसलिये मज़दूरों को उनका अहसानमंद होना चाहिये। जिन मशीनों-औजारों पर काम करके उनकी रोजी-रोटी चलती है उनकी पूजा करनी चाहिये, उनकी सफाई-देखभाल करनी चाहिये और ज़्यादा से ज़्यादा काम करने की शपथ लेनी चाहिये, जिससे उत्पादकता बढे। लेकिन वह मज़दूरों को यह नहीं बताते कि मालिक का मुनाफा मजदुर के श्रम से उत्पाद की वस्तु के मूल्य में होने वाले इजाफे से ही आता है – तो मज़दूर जितना ज़्यादा श्रम करेंगे मालिकों उनकी मेहनत के मूल्य को उतना ही ज़्यादा अपनी जेब में डालकर और भी सम्पत्तिशाली होते जायेंगे और इससे मज़दूरों को कुछ हासिल नहीं होगा। मज़दूरों का नाम लेने वाला लेकिन अन्दर से मालिकों के हितों का पोषण करने वाला कोई संगठन ही मज़दूरों को ऐसा संदेश देने को अच्छा बता सकता है।