चीन के लुटेरे शासकों के काले कारनामे महान चीनी क्रान्ति की आभा को मन्द नहीं कर सकते
यह लेख चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की 90वीं वर्षगाँठ पर ‘मज़दूर बिगुल’ में प्रकाशित हुआ था। चीन की नाममात्र की कम्युनिस्ट पार्टी इस महीने स्थापना की 100वीं वर्षगाँठ मनाने जा रही है मगर यह लेख लिखे जाने के बाद से उसके चरित्र में कोई बदलाव नहीं हुआ है। उसके शासन में चीन एक साम्राज्यवादी देश बनने की राह पर तेज़ी से बढ़ रहा है जिसका आधार अपने देश ही नहीं, दुनिया के अनेक देशों के मेहनतकशों का शोषण है।