क्रान्तिकारी चीन में स्वास्थ्य प्रणाली
ऐसे में पड़ोसी मुल्क चीन के क्रान्तिकारी दौर (1949-76) की चर्चा करेंगे, जब मेहनतकश जनता के बूते बेहद पिछड़े और बेहद कम संसाधनों वाले “एशिया के बीमार देश” ने स्वास्थ्य सेवा में चमत्कारी परिवर्तन किया, साथ ही स्वास्थ्यकर्मियों और जनता के आपसी सम्बन्ध को भी उन्नत स्तर पर ले जाने का प्रयास किया। आज का पूँूजीवाद चीन भारी पूँजीनिवेश और सख़्त नौकरशाहाना तरीक़ों के दम पर कोरोना के नियंत्रण आदि के काम कर ले रहा है, पर बहुसंख्यक मेहनतकश आबादी उस सुलभ और मानवीय चिकित्सा सेवा से वंचित हो गयी है जो समाजवाद ने उन्हें कम संसाधनों में भी उपलब्ध करायी थी। डॉ. विक्टर सिडेल और डॉ. रुथ सिडेल की पुस्तक ‘सर्व दि पीपल’ के एक लेख के आधार पर एक अनुभवी चिकित्सक का लिखा यह लेख चीन में हुए स्वास्थ्य सेवा ओं में क्रान्तिकारी बदलावों की एक झलक पेश करता है।