शिकागो के शहीद मज़दूर नेताओं की कहानी
अपने संघर्ष के दौरान मज़दूर वर्ग ने बहुत-से नायक पैदा किये हैं। अल्बर्ट पार्सन्स भी मज़दूरों के एक ऐसे ही नायक हैं। यह कहानी अल्बर्ट पार्सन्स और शिकागो के उन शहीद मज़दूर नेताओं की है, जिन्हें आम मेहनतकश जनता के हक़ों की आवाज़ उठाने और ‘आठ घण्टे के काम के दिन’ की माँग को लेकर मेहनतकशों की अगुवाई करने के कारण 11 नवम्बर, 1887 को शिकागो में फाँसी दे दी गयी। मई दिवस के शहीदों की यह कहानी हावर्ड फास्ट के मशहूर उपन्यास ‘दि अमेरिकन’ का एक हिस्सा है। इसमें शिलिंग नाम का बढ़ई मज़दूर आन्दोलन से सहानुभूति रखने वाले जज पीटर आल्टगेल्ड को अल्बर्ट पार्सन्स की ज़िन्दगी और शिकागो में हुई घटनाओं और मज़दूर नेताओं की कुर्बानी के बारे में बताता है।