भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के 90वें शहादत दिवस (23 मार्च) के अवसर पर
‘इन्क़लाब ज़िन्दाबाद’ क्रान्तिकारियों के लिए महज़ एक भावनात्मक रणघोष नहीं था बल्कि एक उदात्त आदर्श था जिसकी व्याख्या हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एच.एस.आर.ए.) ने इस रूप में की:
“क्रान्ति पूँजीवाद, वर्गवाद तथा कुछ लोगों को ही विशेषाधिकार दिलाने वाली प्रणाली का अन्त कर देगी। …उससे नवीन राष्ट्र और नये समाज का जन्म होगा।”