Category Archives: कारख़ाना इलाक़ों से

एहरेस्टी के मज़दूरों की एकजुटता तोड़ने के लिए बर्बर लाठीचार्ज

मज़दूरों की एकजुटता को तोड़ने और प्लाण्ट ख़ाली करवाने के लिए कम्पनी ने 31 मई को हरियाणा पुलिस से साँठगाँठ कर मज़दूरों पर बर्बर लाठीचार्ज करवाया, जिसमें 30 से ज़्यादा मज़दूरों को गम्भीर चोटें आयी हैं। इस बर्बर दमन ने साफ़ कर दिया है कि चाहे भाजपा की वसुन्धरा सरकार या कांग्रेस की हुड्डा सरकार, वे तो बस पूँजीपतियों के हितों को सुरक्षित करने का काम कर रहे हैं। 

एक मज़दूर की ज़िन्दगी

मैं रामकिशोर (आजमगढ़ यू.पी.) का रहने वाला हूँ। गुड़गाँव की एक फ़ैक्टरी में काम करता हूँ। मुझे मज़दूर बिगुल अख़बार पढ़ना बहुत ज़रूरी लगता है, क्योंकि यह हम मज़दूरों की ज़िन्दगी की सच्चाई बताता है और इस घुटनभरी ज़िन्दगी से लड़ने का तरीक़ा बताता है, और मैं तो अपने बीवी-बच्चों को भी यह अख़बार पढ़कर सुनाता हूँ। मुझे ज़रूरी लगा इसलिए अपनी यह चिट्ठी ‘मज़दूर बिगुल’ कार्यालय में सम्पादक जी को भेज रह हूँ।

दुनियाभर में अमानवीय शोषण-उत्पीड़न के शिकार हैं प्रवासी कामगार

असमान आर्थिक विकास की बदौलत देशों के अन्दर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र और एक देश से दूसरे देश की तरफ़ (आमतौर पर अविकसित से विकसित की तरफ़) मज़दूरों का प्रवास जारी रहता है। स्थानीय मज़दूरों की संघर्ष की ताक़त अधिक होने के कारण विश्वभर के लुटेरे पूँजीपति स्थानीय की बजाय प्रवासी मज़दूरों को काम पर रखना पसन्द करते हैं। एक तो इन प्रवासी मज़दूरों से कम तनख़्वाह पर काम लिया जाता है, दूसरा स्थानीय और प्रवासी के झगड़े खड़े करके मज़दूरों की एकता की राह में अड़चनें पैदा की जाती हैं।

वज़ीरपुर के गरम रोला के मज़दूरों की जुझारू हड़ताल नौवें दिन भी जारी

मज़दूरों के दबाव के कारण आज श्रम विभाग की तरफ से गरम रोला के सभी 26 कारखानों के मालिकों को गरम रोला मज़दूर एकता समिति के प्रतिनिधिमण्डल के साथ वार्ता के लिए बुलाया गया था, किन्तु कारखाना मालिक तो कोई नहीं पहुँचा लेकिन उन्होंने अपने एक मैनेजर को भेज दिया जिसे श्रम विभाग ने बैरंग लौटा दिया। उन्होनें आगे कहा कि भले ही मालिक आज समझौते की टेबल पर आने के लिए तैयार न हों किन्तु देर-सबेर उन्हें मज़दूरों की जायज कानूनी मांगों को मानना ही पड़ेगा।

गरम रोला मज़दूर एकता समिति के नेतृत्‍व में वज़ीरपुर के मज़दूरों की हड़ताल आठवें दिन भी जारी

दिल्ली के वज़ीरपुर औद्योगिक इलाके के 26 गरम रोला कारखानों के करीब 1600 मज़दूर विगत 6 जून से हड़ताल पर हैं। मज़दूरों की मांग है कि सभी श्रम कानूनों को सख्ती से लागू किया जाये। वज़ीरपुर में स्टील की बहुत बड़ी इण्डस्ट्री है। यहां पर लोहे को पिघलाकर और ढालकर बर्तन और स्टील का अन्य सामान बनाया जाता है। काम करने की परिस्थितियां बेहद अमानवीय हैं। लोहा पिघलाने की भट्ठियों के पास खड़े होकर और स्टील की बेहद धारदार पत्तियों के बीच मज़दूरों को काम करना पड़ता है। मज़दूरों को न तो कोई श्रम कानून नसीब होता है और न ही काम करने की जगह पर सुरक्षा का ही कोई इन्तजाम होता है। ऐसे में मज़दूर अपने श्रम अधिकारों को हासिल करने के लिए गरम रोला मज़दूर एकता समिति के नेतृत्व में हड़ताल पर हैं। यूनियन के अधिकारी रघुराज का कहना है कि पिछले साल 2013 में भी हड़ताल हुई थी जिसमें कुछ चीजें हासिल हुई थी। किन्तु हर साल 1500 रुपये मज़दूरी बढ़ाने और पी एफ , ईएसआई देने से फैक्टरी मालिक मुकर गये। ऐसे में मज़दूरों को फिर से हड़ताल पर उतरना पड़ा।

श्रम-कानूनों को लागू करवाने के लिए वजीरपुर स्टील मज़दूरों की हड़ताल छठे दिन भी जारी!

वजीरपुर गरम रोला मज़दूरों ने अपनी हड़ताल छठे दिन भी जारी रखी। ज्ञात हो कि औद्योगिक इलाके से सटकर ही निमड़ी कॉलोनी में लेबर कोर्ट है जिसके बावजूद श्रम कानूनों का उल्लंघन धड़ल्ले से किया जाता है। वज़ीरपुर के औद्योगिक इलाके में स्टील का बड़ा उद्योग है जहाँ करीब 600 फैक्टरियां हैं जिनमे आये दिन मज़दूरों के हाथ कटते रहते हैं और कारखानों में बिल्कुल अमानवीय हालत में मज़दूर लगातार मालिकों का मुनाफा बढ़ाते रहते हैं। वजीरपुर में ही भविष्य निधि भवन का दफ्तर है लेकिन शायद ही किसी मज़दूर को पी.एफ. की सुविधा मिलती है। 6 जून को करीब 2000 मज़दूरों ने इलाके में व्यापक रैली निकाल कर अपनी हड़ताल की घोषणा की थी। आज वजीरपुर इंडस्ट्रियल इलाके के ए ब्लॉक, और बी ब्लॉक में जितनी भी स्टील लाईन फैक्टरियां थी उनमें से ज्यादातर बंद रहीं। विकराल रैली से घबराकर मालिकों ने पुलिस को आगे कर दिया परन्तु मज़दूर अपनी रैली शांतिपूर्वक तरीके से चलाते हुए राजा पार्क में पहुंचे जहां फिर से सभा की गयी। इस सभा में करीब 1500 मज़दूरों ने भागीदारी की।

Steel workers strike continue on sixth day for implementation of labour laws

Workers of Wazirpur hot rolling steel plants continued to strike work for the sixth day. It should be noted that despite there being a labour court adjoining the industrial area in Nimri colony, labour laws are being flouted openly here. In the Wazirpur Industrial area, there are about 600 factories for steel production. It is not uncommon for workers here to have their hands bruised or cut during work. They work in extremely inhuman conditions. This is how profit is being accumulated.

दुनियाभर में पूँजीवादी संकट के बढ़ते कहर के ख़िलाफ़ मज़दूर जुझारू संघर्ष के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं

दुनिया भर में मज़दूर इस बर्बर लूट का जमकर प्रतिरोध कर रहे हैं और अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं। वैसे तो संकट की शुरुआत के साथ सरकारी ख़र्च घटाने के विभिन्न क़दमों के विरोध में अमेरिका और यूरोप के अनेक देशों में व्यापक प्रदर्शनों और हड़तालों का सिलसिला शुरू हो गया था जो अब भी जारी है। लेकिन पिछले 2-3 वर्षों के दौरान तीसरी दुनिया के पूँजीवादी देशों में उभर रहे मज़दूर संघर्ष इनसे काफी अलग हैं। उन्नत पूँजीवादी देशों के मज़दूर, जो ज़्यादातर यूनियनों में संगठित हैं, मुख्यतया अपनी सुविधाओं में कटौती और रोज़गार के घटते अवसरों के विरुद्ध सड़कों पर उतरते रहे हैं। इनका बड़ा हिस्सा उस अभिजन मज़दूर वर्ग का है जिसे तीसरी दुनिया की जनता की बर्बर लूट से कुछ टुकड़े मिलते रहे थे और इसका जीवन काफी हद तक सुखी और सुरक्षित था। ग्रीस जैसे देशों की स्थिति अलग है जो पहले भी दूसरी दुनिया के देशों की निचली कतार में थे और वित्तीय संकट की मार से लगभग तीसरी दुनिया की हालत में पहुँच गये हैं। मगर भारत, बंगलादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका से लेकर मलेशिया, इण्डोनेशिया, कोरिया, दक्षिण अफ्रीका, ब्राज़ील, मेक्सिको, चीन, क्रोएशिया आदि देशों में एक के बाद उठ रहे जुझारू आन्दोलन इन देशों के उस मज़दूर वर्ग की बढ़ती बेचैनी और राजनीतिक चेतना का संकेत दे रहे हैं जो हर तरह के अधिकारों से वंचित और सबसे बर्बर शोषण का शिकार है।

चुप्पी तोड़ो, आगे आओ! मई दिवस की अलख जगाओ!!

मई दिवस का इतिहास पूँजी की ग़ुलामी की बेड़ियों को तोड़ देने के लिए उठ खड़े हुए मज़दूरों के ख़ून से लिखा गया है। जब तक पूँजी की ग़ुलामी बनी रहेगी, संघर्ष और क़ुर्बानी की उस महान विरासत को दिलों में सँजोये हुए मेहनतकश लड़ते रहेंगे। हमारी लड़ाई में कुछ हारें और कुछ समय के उलटाव-ठहराव तो आये हैं लेकिन इससे पूँजीवादी ग़ुलामी से आज़ादी का हमारा जज्ब़ा और जोश क़त्तई टूट नहीं सकता। करोड़ों मेहनतकश हाथों में तने हथौड़े एक बार फिर उठेंगे और पूँजी की ख़ूनी सत्ता को चकनाचूर कर देंगे। इसी संकल्प को लेकर दिल्ली, लुधियाना और गोरखपुर में मज़दूरों के मई दिवस के आयोजनों में बिगुल मज़दूर दस्ता के साथियों ने शिरकत की और इन आयोजनों को क्रान्तिकारी धार और जुझारू तेवर देने में अपनी भूमिका निभायी।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के औद्योगिक इलाक़ों में सतह के नीचे आग धधक रही है!

श्रीराम पिस्टन फ़ैक्टरी की यह घटना न सिर्फ़ हीरो होण्डा, मारुति सुज़ुकी और ओरियण्ट क्राफ्रट के मज़दूर संघर्षों की अगली कड़ी है, बल्कि पूरे गुड़गाँव-मानेसर-धारूहेड़ा-बावल-भिवाड़ी की विशाल औद्योगिक पट्टी में मज़दूर आबादी के भीतर, और विशेषकर आटोमोबाइल सेक्टर के मज़दूरों के भीतर सुलग रहे गहरे असन्तोष का एक विस्फोट मात्र है। यह आग तो सतह के नीचे पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के औद्योगिक इलाक़ों में धधक रही है, जिसमें दिल्ली के भीतर के औद्योगिक क्षेत्रों के अतिरिक्त नोएडा, ग्रेटर नोएडा, साहिबाबाद, फ़रीदाबाद, बहादुरगढ़ और सोनीपत, पानीपत के औद्योगिक क्षेत्र भी आते हैं। राजधानी के महामहिमों के नन्दन कानन के चारों ओर आक्रोश का एक वलयाकार दावानल भड़क उठने की स्थिति में है।