Category Archives: कारख़ाना इलाक़ों से

हरियाणा के रोहतक में हुई एक और “निर्भया” के साथ दरिन्दगी

एक तरफ़ तो ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवता’ का ढोल पीटा जाता है, “प्राचीन संस्कृति” का यशोगान होता है लेकिन दूसरी तरफ़ स्त्रियों के साथ बर्बरता के सबसे घृणित मामले यहीं देखने को मिलते हैं। स्त्री विरोधी मानसिकता का ही नतीजा है कि हरियाणा में कन्या भ्रूण हत्या होती है और लड़के-लड़कियों की लैंगिक असमानता बहुत ज़्यादा है। हिन्दू धर्म के तमाम ठेकेदार आये दिन अपनी दिमाग़ी गन्दगी और स्त्रियों को दोयम दर्जे का नागरिक मानने की अपनी मंशा का प्रदर्शन; कपड़ों, रहन-सहन और बाहर निकलने को लेकर बेहूदा बयानबाज़ियाँ करके करते रहते हैं लेकिन तमाम स्त्री विरोधी अपराधों के ख़िलाफ़ बेशर्म चुप्पी साध लेते हैं। यह हमारे समाज का दोगलापन ही है कि पीड़ा भोगने वालों को ही दोषी करार दे दिया जाता है और नृशंसता के कर्ता-धर्ता अपराधी आमतौर पर बेख़ौफ़ होकर घूमते हैं। अभी ज़्यादा दिन नहीं हुए, जब हरियाणा के मौजूदा मुख्यमन्त्री मनोहर लाल खट्टर फ़रमा रहे थे कि लड़कियों और महिलाओं को कपड़े पहनने की आज़ादी लेनी है तो सड़कों पर निर्वस्त्र क्यों नहीं घूमती!

एक आस्तिक की पुकार

एक नास्तिक एक बार
मुझसे भिड़ गया था
या कहो कि
मैंने ही उसे पकड़ लिया था
तो मैंने उसे नर्क दिखाया
स्वर्ग से ललचाया
इस जीवन को सुधारने का मंत्र दिया
तो नास्तिक बोला –
तेरा भगवान क्रान्ति कर
सकता है क्या
और वो मुझे एक पर्चा थमा गया

आओ गीत एक गाता हूँ

आओ गीत एक गाता हूँ
गीत एक सुनाता हूँ
आओ नौजवान साथियों
आओ मिलकर कहें इंकलाब साथियों
अशफ़ाक, बिस्मिल,
भगत का यह सन्देश
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
सबका यह देश
आओ मिलकर चलें हम सब

रिको ऑटो मज़दूरों की कहानी!

मज़दूरों की इस वर्ग एकजुटता के आगे कम्पनी मैनेजमेण्ट को झुकना पड़ा। मृत मज़दूर अजीत यादव के घरवालों को सम्मानजनक मुआवज़ा मिला। हम मज़दूरों की 4 हज़ार रुपये वेतन में बढ़ोतरी हुई लेकिन साथ ही कम्पनी मैनेजमेण्ट ने मालिकों की तलवे चाटने वाली एक जेबी ट्रेड यूनियन गठित करा दी। और उसके बाद 2009 से आजतक लगभग 300 मज़दूरों को निकाला जा चुका है। ठेकेदार के मज़दूर व कैजुअल मज़दूरों की तो कोई गिनती ही नहीं होती। अब मालिक व मैनेजमेण्ट की नीति यह है कि हाईवे के किनारे की यह ज़मीन बिल्डरों के हाथों सोने के भाव बेच दी जाये। और स्थाई मज़दूरों की जगह पर ठेका मज़दूरों की फ़ौज को गुलामों की तरह खटाकर मुनाफ़ा पीटा जाये। जैसे आज पूरे ऑटो मोबाइल सेक्टर में किया जा रहा है।

दिल्ली मेट्रो रेल के टॉम ऑपरेटरों की 5 घण्टे की चेतावनी हड़ताल

यूँ कहने को आज दिल्ली मेट्रो रेल ज़रूर दिल्ली-एनसीआर की लाइफ़लाइन बन चुकी है, रोज़ाना 20 लाख से ज़्यादा यात्री मेट्रो में सफ़र करते हैं, दुनियाभर में दिल्ली मेट्रो रेल को हम ठेका मज़दूरों और कर्मचारियों ने नम्बर 1 मेट्रो रेल बना दिया। मगर इस चमचमती मेट्रो रेल को चलाने वाले हज़ारों ठेका मज़दूर (टॉम ऑपरेटर, सफ़ाईकर्मी और सिक्योरिटी गार्ड) की ज़िन्दगी में अँधेरा ही है। लगभग 5 हज़ार से ज़्यादा ठेका मज़दूर दिन-रात मेट्रो रेल के बेहतर परिचालन के लिए कमर-तोड़ मेहनत करते हैं लेकिन बदले में डीएमआरसी और ठेका कम्पनियाँ बुनियादी श्रम-क़ानून जैसे न्यूनतम वेतन, ईएसआई, पीएफ़ या बोनस के क़ानून भी लागू नहीं करती हैं। यूँ तो प्रत्येक मेट्रो स्टेशन पर न्यूनतम मज़दूरी क़ानून के बोर्ड लगे हुए हैं लेकिन हम मज़दूर जानते हैं कि ये क़ानून सिर्फ़ बोर्ड या काग़ज़ों पर शोभा बढ़ाते हैं, असल में डीएमआरसी और ठेका कम्पनियाँ खुलेआम श्रम-क़ानूनों का उल्लंघन करते हैं, जिसके खि़लाफ़ यूनियन ने कई दफ़ा डीएमआरसी और ठेका कम्पनियों को श्रम विभाग में दोषी भी साबित किया है। लेकिन श्रम विभाग की मिलीभगत से मज़दूरों को उनका जायज़ हक़ नहीं मिलता।

ढण्डारी बलात्कार व क़त्ल काण्ड – गुण्डा-पुलिस-राजनीतिक गठजोड़ के खि़लाफ़ विशाल लामबन्दी, जुझारू संघर्ष

लुधियाना के ढण्डारी इलाक़े में एक साधारण परिवार की 16 वर्षीय बेटी और बारहवीं कक्षा की छात्र शहनाज़ को राजनीतिक शह प्राप्त गुण्डों द्वारा अगवा करके सामूहिक बलात्कार करने, मुक़दमा वापस लेने के लिए डराने-धमकाने, मारपीट और आखि़र घर में घुसकर दिन-दिहाड़े मिट्टी का तेल डालकर जलाये जाने के घटनाक्रम के खि़लाफ़ पिछले दिनों शहर के लोगों, ख़ासकर औद्योगिक मज़दूरों का आक्रोश फूट पड़ा। इंसाफ़पसन्द संगठनों के नेतृत्व में लामबन्द होकर लोगों ने ज़बरदस्त जुझारू आन्दोलन किया और दोषी गुण्डों को सज़ा दिलाने के लिए संघर्ष जारी है। शहनाज़ और उसके परिवार के साथ बीता यह दिल कँपा देनेवाला घटनाक्रम समाज में स्त्रियों और आम लोगों की बदतर हालत का एक प्रतिनिधि उदाहरण है। मामले को दबाने और अपराधियों को बचाने की पुलिस-प्रशासलन से लेकर पंजाब सरकार तक की तमाम कोशिशों के बावजूद बिगुल मज़दूर दस्ता व अन्य जुझारू संगठनों के नेतृत्व में हज़ारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर जुझारू लड़ी।

औद्योगिक कचरे से दोआबा क्षेत्र का भूजल और नदियाँ हुईं ज़हरीली

देश के विभिन्न हिस्सों में फैले सभी औद्योगिक क्षेत्रों में औद्योगिक कचरा यूँ ही बिना किसी ट्रीटमेण्ट या रिसाइक्लिंग के आसपास की नदियों या जलाशयों में छोड़ दिया जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि पूँजीपति ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफ़े के लक्ष्य की सनक में इतने डूबे रहते हैं कि कारख़ाने के भीतर श्रम क़ानूनों को ताक पर रखकर मज़दूरों की हड्डियाँ निचोड़ने से भी जब उनका जी नहीं भरता तो वे कचरे के ट्रीटमेण्ट में लगने वाले ख़र्च से बचने के लिए तमाम पर्यावरण सम्बन्धी क़ानूनों और कायदों को ताक पर रखकर ज़हरीले कचरे को आसपास की नदियों अथवा जलाशयों में बिना ट्रीट किये छोड़ देते हैं। यही वजह है कि इस देश की तमाम नदियाँ तेज़ी से परनाले में तब्दील होती जा रही हैं।

निर्माण मज़दूर यूनियन (नरवाना, हरियाणा) द्वारा निःशुल्क मेडिकल कैम्पों का आयोजन

गत 30 दिसम्बर को निर्माण मज़दूर यूनियन द्वारा नौजवान भारत सभा के सहयोग से निःशुल्क मेडिकल कैम्पों का आयोजिन किया गया। पहला कैम्प शहीद भगतसिंह चौक पर लगाया गया तथा दूसरा निर्माण मज़दूर यूनियन के कार्यालय पुराने बस अड्डे के पास लगाया गया। दो डॉक्टर साथियों ने कैम्प के लिए अपना समय दिया। कैम्पों में करीब 400 लोगों के स्वास्थ्य की जाँच की गयी, उन्हें दवाइयाँ वितरित की गयी और स्वास्थ्य के सवाल पर जागरूक किया गया।

वज़ीरपुर में रेलवे ने करीब 40 झुग्गियों पर बुल्डोज़र चढ़ाया

16 दिसम्बर की सुबह को दिल्ली पुलिस और रेलवे पुलिस के नेतृत्व में रेलवे ने वज़ीरपुर इंडस्ट्रीयल एरिया, बी ब्लॉक में आज़ादपुर से लगी रेलवे लाइन के करीब बसी 40 झुग्गियों पर बुल्डोज़र चढ़वा दिया। लोगों ने एकजुट होकर ही वहाँ झुग्गियों को आगे टूटने से बचाया। इस कड़ाके की ठण्ड में कई लोगों के घर उजाड़ दिये गये और उनके सपनों को बुल्डोज़र ने ज़मींदोज कर दिया।

दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन हुई पंजीकृत

गत 7 ज़नवरी को वज़ीरपुर औद्योगिक इलाक़े में यूनियन पंजीकृत होने के मौक़े पर मज़दूर हुंकार रैली निकाली गयी जिसमें करीब हज़ार मज़दूरों ने भागीदारी कर अपनी एकजुटता का परिचय दिया। गरम रोला के मज़दूरों की हड़ताल से जन्मी यह यूनियन आज पूरी स्टील लाइन के मज़दूरों की यूनियन बन चुकी है। गरम रोला के आन्दोलन में 27 अगस्त की आम सभा में यह तय हुआ था कि ऐसी यूनियन बनानी होगी जो स्टील उद्योग के सभी तरह के काम करने वाले मज़दूरों का प्रतिनिधित्व करे। दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन ऐसी ही यूनियन के रूप में उभरकर सामने आयी। आज इसके सदस्य गरम रोला, ठण्डा रोला, तेज़ाब, तपाई, तैयारी, रिक्शा, पोलिश आदि यानी हर तरह के मज़दूर साथी हैं तथा सदस्यता संख्या में लगातार विस्तार हो रहा है।