धुएँ में उड़ता बचपन
जिप्सम की पर्याप्त उपलब्धता देखते हुए शहरों व महानगरों में बैठे धनासेठों ने गाँव के आस-पास ही चूना-फ़ैक्टरियाँ स्थापित करना शुरू कर दिया। यह प्रक्रिया इतनी तीव्र गति से हुई कि गाँव के दोनों तरफ़ हाइवे के किनारे-किनारे इन फ़ैक्टरियों का अम्बार लग गया। जिनकी संख्या दिन-ब-दिन बढ़ ही रही है। बरमसर गाँव पूँजीपतियों का आकर्षण-केन्द्र बन गया। ऐसी स्थिति में गाँव के मज़दूर वर्ग के रोज़गार का एकमात्र विकल्प ये फ़ैक्टरियाँ ही रह गयीं, फलत: समूचा मज़दूर वर्ग इन चूना-फ़ैक्टरियों में भर्ती हो गया।





















