लुधियाना के मज़दूर संघर्ष की राह पर
पहले से ही भयानक ग़रीबी-बदहाली का जीवन जीने पर मज़बूर मज़दूरों का बढ़ी महँगाई ने और भी बुरा हाल कर दिया है। मालिक मंदी का बहाना बनाकर मज़दूरों के वेतन में वृद्धि करने को तैयार नहीं हैं। श्रम क़ानूनों के तहत अन्य अधिकार (बोनस, ई.एस.आई., ई.पी.एफ. आदि) भी जिन मज़दूरों को मिल भी रहे हैं वे भी छीने जा रहे हैं। ऐसे में मज़दूरों में पूँजीपतियों के ख़िलाफ़ रोष का बढ़ना स्वाभाविक है। टेक्सटाइल हौज़री कामगार यूनियन मज़दूरों के बीच में लगातार यह प्रचार कर रही है कि मंदी का बोझ मज़दूरों पर लादे जाने के ख़िलाफ़ मज़दूरों को लड़ना होगा। मन्दी है तो पूँजीपति अपने मुनाफ़ों में कटौती करें मज़दूरों के वेतन व अन्य न्यायपूर्ण सुविधाओं पर डकैती न डालें।