क्रान्तिकारी मज़दूर शिक्षणमाला – 13 : पूँजीवादी उत्पादन: श्रम प्रक्रिया के रूप में और मूल्य-संवर्धन प्रक्रिया के रूप में
पूँजीपति वर्ग के मुनाफ़े का स्रोत बेशी मूल्य होता है और समूचे मूल्य के समान ही बेशी मूल्य भी मज़दूर वर्ग के श्रम से ही सृजित होता है, जिसे उत्पादन के साधनों पर अपने मालिकाने के बूते पूँजीपति वर्ग हस्तगत करता है। यह बेशी मूल्य मज़दूर द्वारा दिये गये बेशी श्रम या अतिरिक्त श्रम से पैदा होता है, जो वह उस आवश्यक श्रम को देने के बाद देता है, जिससे उसकी श्रमशक्ति के मूल्य के बराबर मूल्य पैदा होता है। इस सच्चाई को समझने के लिए जो कुंजीभूत कड़ी है वह है श्रमशक्ति के माल में तब्दील होने को समझना। इसके बिना आप पूँजीवादी उत्पादन पद्धति में आवश्यक श्रम और अतिरिक्त श्रम के बीच फ़र्क ही नहीं कर सकते हैं।