क्रान्तिकारी मज़दूर शिक्षणमाला – 20 : पूँजीवादी संचय का आम नियम
पूँजी के सान्द्रण की विपरीत गति भी पूँजीवादी व्यवस्था में मौजूद होती है। यह गति होती है पूँजियों के टूटने की और एक-दूसरे को विकर्षित करने की। मिसाल के तौर पर, पूँजीवादी घरानों या कम्पनियों को टूट जाना। उत्तराधिकारियों के बीच पूँजीवादी घरानों की सम्पत्ति का बँट जाना इसमें एक अहम कारक होता है। मिसाल के तौर पर, धीरूभाई अम्बानी के पूँजीवादी साम्राज्य का उसके दोनों बेटों के बीच विभाजित हो जाना, या इसी प्रकार घनश्यामदास बिड़ला के उत्तराधिकारियों में उसकी सम्पत्ति का बँट जाना, इसी के उदाहरण हैं।