कविता – मुनाफ़ाखोर व्यापारी की प्रार्थना
भाइयो इस महँगाई के दौर में एक तरफ जब लोग कुपोषण से बीमार पड़ रहे हैं, भूख से मर रहे हैं, लोगों का जीना दुश्वार हो गया है वहीं दूसरी तरफ सरकारी गोदामों में सैकड़ों टन अनाज़ सड़ाया जा रहा है। एक तो सरकार हम गरीबों के दिये टैक्स के पैसों से अमीर किसानों से महँगा अनाज खरीदती है,दूसरी ओर उस अनाज को गोदामों में सड़ा कर जमाखोरों को फायदा पहुँचाती है। ऐसे में एक जमाखोर क्या सोच रखता है, मुनाफा कमाने का क्या-क्या तरीका सोचता है, मैं अपनी कविता के जरिए बिगुल के पाठकों को बताना चाहता हूँ