घटना के बाद जारी दिल्ली मज़दूर यूनियन की प्रेस विज्ञप्ति
केजरीवाल सरकार को वादों की याद दिलाने दिल्ली सचिवालय पहुँचे ठेका मज़दूरों पर पुलिस का बुरी तरह लाठीचार्ज
सनी सिंह
दिल्ली मज़दूर यूनियन
दिल्ली। 26 मार्च। केजरीवाल सरकार को मज़दूरों से किये वादों की याद दिलाने दिल्ली सचिवालय पहुँचे दिल्ली के सैकड़ों मज़दूरों पर 25 मार्च को दिल्ली पुलिस ने बुरी तरह लाठीचार्ज किया, कई आँसू गैस के गोले छोड़े और दौड़ा-दौड़ाकर मज़दूरों, महिलाओं को पीटा। बहुत से लोगों को काफ़ी चोटें आयी हैं, कइयों के सिर फूट गये हैं। इस जुटान का उद्देश्य मुख्यमन्त्री केजरीवाल को चुनाव के समय किये गये वायदों की याददिहानी कराना था। चुनाव के समय आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के साठ लाख ठेका कर्मियों से यह वायदा किया था कि दिल्ली में नियमित प्रकृति के काम से ठेका प्रथा खत्म की जायेगी तथा स्थायी नौकरियाँ दी जायेंगी। सभी ठेका कर्मी यथा, मेट्रो के वर्कर्स, संविदा शिक्षक, दिल्ली सरकार के अस्पतालों के कर्मचारी, सफाई कर्मचारी, असंगठित क्षेत्रों में ठेके पर खटने वाले मज़दूर श्री केजरीवाल से यह माँग करते हुए पहुँचे कि ‘दिल्ली राज्य ठेका उन्मूलन विधेयक’ पारित करवाया जाये। साथ ही दिल्ली में श्रम क़ानूनों के उल्लंघन पर रोक लगाये जाने और दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मज़दूरी का भुगतान सुनिश्चित किये जाने की माँगें भी शामिल थीं।
शांतिपूर्वक अपनी बात को मुख्यमन्त्री तक ले जाने के इरादे से आये दिल्ली भर के मज़दूरों और आम मेहनतकश जनता को वहशी तरीक़े से पीटा गया। पुलिस के पुरुष कर्मियों ने महिलाओं को बुरी तरह पीटा जिसके कारण अनेक महिलाओं को गंभीर चोटें आयी, एक युवा महिला कार्यकर्ता की टांग टूट गयी और बहुत से लोगों के सर फूट गये। इतने पर भी दिल्ली पुलिस को चैन नहीं आया, रैपिड एक्शन फोर्स और दिल्ली पिुलस ने मिलकर मज़दूरों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, आँसू गैस के गोले बारिश की तरह बरसाए गये। प्रदर्शन में महिलायें व बच्चे भी शामिल थे मगर पुलिस ने उन्हें भी नहीं बक्शा। पुलिस मज़दूरों को दौड़ाकर पीटते हुए राजघाट से किसान घाट की तरफ़ ले गयी। इस बर्बर पुलिस कार्यवाही से साबित हो गया की सरकार किन के हितों की सुरक्षा के लिए हैं। मुख्यमन्त्री केजरीवाल जो खुद को आम आदमी कहते हैं वह क्यों इस बर्बर पुलिसिया दमन पर चुप्पी साधे बैठे हैं। ग़रीब मेहनतकश आबादी अपनी बात लेकर मन्त्री तक पहुँचना चाहती हैं तो उसका यह हश्र किया जाता है। प्रदर्शन में शामिल 17 लोगों को गिरफ्तार किया जिनमें 4 महिलायें शामिल हैं। सभी गिरफ्तार किये गये लोगों को गम्भीर चोटें आयी थी उसके बावजूद उनका मेडिकल बहुत देर से कराया गया। इन लोगों पर सीआरपीसी के तहत 147, 148, 149, 186, 332, और आईपीसी के तहत 353 और 3 पीडीपी एक्ट की धाराएँ लगी हैं। इनमें मज़दूर बिगुल अखबार के संपादक अभिनव और दिल्ली मेट्रो ठेका कामगार यूनियन की क़ानूनी सलाहकार शिवानी भी शामिल हैं। पुलिस ने मज़दूरों की बर्बर पिटाई को कवर करने के लिए वहाँ मौजूद थोड़े से मीडिया के लोगों और स्वतन्त्र नागरिकों के कैमरे और मोबाइल फोन भी छीनकर तोड़ दिये।
इस पूरी कार्यवाही से आम आदमी पार्टी का असली चेहरा सामने आ गया हैं। यह घटना इस सरकार के लिए बेहद शर्मनाक हैं। और उससे भी ज़्यादा शर्मनाक है प्रशासन का इस पूरे मुद्दे पर मौन होना। जब दिल्ली के व्यापारी वैट माफ़ी के लिए दिल्ली सचिवालय पहुँचते हैं तो सभी मन्त्री उनके सामने हाजिर हो जाते हैं और जब दिल्ली का मज़दूर अपनी बात लेकर जाता हैं तो उन पर लाठियाँ बरसाई जाती हैं।
मज़दूर बिगुल, अप्रैल 2015
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन