वज़ीरपुर में रेलवे ने करीब 40 झुग्गियों पर बुल्डोज़र चढ़ाया
चुनावी पार्टियों ने शुरू की वोटों की फ़सल काटने की तैयारी
16 दिसम्बर की सुबह को दिल्ली पुलिस और रेलवे पुलिस के नेतृत्व में रेलवे ने वज़ीरपुर इंडस्ट्रीयल एरिया, बी ब्लॉक में आज़ादपुर से लगी रेलवे लाइन के करीब बसी 40 झुग्गियों पर बुल्डोज़र चढ़वा दिया। लोगों ने एकजुट होकर ही वहाँ झुग्गियों को आगे टूटने से बचाया। इस कड़ाके की ठण्ड में कई लोगों के घर उजाड़ दिये गये और उनके सपनों को बुल्डोज़र ने ज़मींदोज कर दिया। अवैध का बहाना बनाकर सरकार बिना आवास की सुविधा मुहैया करवाये इन झुग्गियों को नहीं तुड़वा सकती है। टूटी झुग्गियों में निवासियों को रात आग जलाकर काटनी पड़ी। जिसके कारण बच्चों और महिलाओं की तबियत काफ़ी ख़राब हो गयी। इसी कारण दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन ने झुग्गियों में एक मेडिकल कैम्प का आयोजन किया। उस दिन दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन द्वारा आयोजित आम सभा में झुग्गीवासियों की सहमति से यह निर्णय लिया गया कि इस पूरी घटना का पर्चा निकाला जाये और पूरे इलाक़े में बांटा जाये। क्योंकि यह सिर्फ़ यहाँ की 40 झुग्गियों का मसला नहीं है बल्कि सारे झुग्गीवासियों का मसला है और सबको एकजुट होकर लड़ने के लिए तैयार रहना होगा। फिर वह चाहे गरम रोला में काम करता हो या ठंडा में या फिर तेज़ाब, तपाई, प्रेस, पोलिश, कॉपर में या रेहड़ी-खोमचा लगाता हो या रिक्शा चलाता हो, झुग्गी की समस्या के लिए पूरे इलाक़े की एकजुटता क़ायम करनी होगी। सिर्फ़ अपनी बारी का इन्तज़ार करने से और पल्ला झाड़ने से काम नहीं चलेगा। इसके साथ ही क़ानूनी कार्यवाही भी जारी है, जिसके तहत 14 जनवरी (केस की तारीख़) तक का स्टेऑर्डर लिया गया है। पर चुनावबाज़ पार्टियाँ यहाँ भी अपनी चुनावी रोटियाँ सेंकने और चेहरा चमकाने आ पहुँचीं। चाहे भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी हो या नक़ली लाल झण्डे वाली माले जो सिर्फ़ चुनाव के समय ही अवतरित होती हैं – सब इस मुद्दे को भुनाकर अधिक से अधिक वोट पाना चाहती हैं। हमें इन सभी चुनावी मदारियों से सावधान रहना होगा और अपनी जुझारू एकजुटता क़ायम करनी होगी, तभी हम अपने हक़ जीत सकते हैं न कि इन मालिकों की दलाल चुनावबाज़ पार्टियों के चक्कर में फँसकर।
मज़दूर बिगुल, जनवरी 2015
‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्यता लें!
वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये
पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये
आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये
आर्थिक सहयोग भी करें!
बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन