बादाम तोड़ने वाले 25-25 हज़ार मज़दूर हड़ताल पर
नई दिल्ली के करावल नगर इलाके में बादाम तोड़ने वाले मज़दूरों ने हड़ताल की घोषणा कर दी है। ‘बादाम मज़दूर यूनियन’ के बैनर तले इन मज़दूरों के हड़ताल पर जाने से अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सहित कई यूरोपीय देशों में बादाम निर्यात प्रभावित हो गया है। बादाम मज़दूर यूनियन के संयोजक आशीष ने कहा कि सरकार ने 1970 में ठेका मज़दूरी क़ानून के तहत जो बुनियादी अधिकार दिए थे उनका यहां कोई पालन नहीं हो रहा है। श्रम क़ानूनों के उल्लंघन से यहां के 20 हज़ार से ज़्यादा मज़दूर त्रस्त हैं। यूनियन के सदस्य राहुल ने कहा कि बेहिसाब महंगाई में न्यूनतम मज़दूरी भी न मिलने से मज़दूरों के परिवारों के सामने दाल-रोटी की चिंता बढ़ गयी है। लिहाज़ा मज़दूरों ने काम बंद कर दिया है।
जानकारी के मुताबिक, 23 किलो की एक बोरी पर मज़दूरों को केवल 50 रुपये मिलते हैं। दिनभर में हाड़-तोड़ मेहनत कर एक मज़दूर मुश्किल से दो बोरी बादाम तोड़ पाता है। इसके अलावा उनका पिछला हिसाब भी व्यापारी रोक कर उन्हें धमकी देता रहता है। वे सामाजिक सुरक्षा की सुविधा से भी वंचित हैं।
(जनसत्ता (17 दिसंबर) से साभार )
‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्यता लें!
वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये
पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये
आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये
आर्थिक सहयोग भी करें!
बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन