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(मज़दूर बिगुल के अक्टूबर 2014 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
दोनों हाथ मज़दूर को लूटो, बोलो ‘श्रमेव जयते’!
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
योजना आयोग की मौत पर मातम क्यों? / लखविन्दर
फासीवाद
नरेन्द्र मोदी का “स्वच्छ भारत अभियान” : जनता को मूर्ख बनाने की नयी नौटंकी शिशिर
संघर्षरत जनता
छात्र-युवा आन्दोलन में नया उभार और भविष्य के संकेत / अखिल कुमार
पंजाब सरकार के फासीवादी काले क़ानून को रद्द करवाने के लिए क्षेत्रीय स्तर पर तीन विशाल रैलियाँ
काले क़ानून के खि़लाफ़ रैली में औद्योगिक मज़दूरों की विशाल भागीदारी
महान शिक्षकों की कलम से
मज़दूरी की व्यवस्था में मज़दूर के शोषण का रहस्य / एंगेल्स
विरासत
महान क्रान्तिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी के जन्मदिवस (26 अक्टूबर) के अवसर पर
बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका
निठारी काण्ड का फैसला: पूँजीवादी व्यवस्था में ग़रीबों-मेहनतकशों को इंसाफ़ मिल ही नहीं सकता / श्वेता
साम्राज्यवाद / युद्ध / अन्धराष्ट्रवाद
कश्मीर में बाढ़ और भारत में अंधराष्ट्रवाद की आँधी / आनन्द सिंह
स्वास्थ्य
मोदी सरकार का नया तोहफ़ा: जीवनरक्षक दवाओं के दामों में भारी वृद्धि
प्रवासी मज़दूर
हर देश में अमानवीय शोषण-उत्पीड़न और अपमान के शिकार हैं प्रवासी मज़दूर / लता
गतिविधि रिपोर्ट
नौजवान भारत सभा का प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन
कला-साहित्य
कहानी – करोड़पति कैसे होते हैं / मक्सिम गोर्की
मज़दूरों की कलम से
वजीरपुर के मज़दूरों के संघर्ष के बारे में / बाबूराम, मजदूर, वजीरपुर
मजदूर एकता ज़िन्दाबाद / आनन्द, गुड़गांव
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन