गोरखपुर में मज़दूर नेताओं को फर्ज़ी आरोप में गिरफ्तार किया। थाने पर बात करने गए मज़दूरों पर बार-बार लाठीचार्ज, कई घायल
उद्योगपतियों के इशारे पर पुलिस मज़दूरों को भड़काने की कोशिश कर रही है
गोरखपुर। गोरखपुर के बरगदवा औद्योगिक क्षेत्र में आज दोपहर पुलिस ने बिगुल मज़दूर दस्ता और टेक्सटाइल वर्कर्स यूनियन से जुडे़ दो मज़दूर नेताओं तपीश मैन्दोला और प्रमोद कुमार को झूठे आरोप में गिरफ्तार कर लिया। इसके विरोध में थाने पर गए मज़दूरों पर बुरी तरह लाठीचार्ज किया गया और थानाध्यक्ष से बात करने गए दो अन्य मज़दूर नेताओं प्रशांत तथा राजू को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
इसकी जानकारी मिलते ही कई कारखानों के मज़दूर जैसे ही थाने पर पहुंचे उन पर फिर से लाठीचार्ज किया गया। मालिकों के इशारे पर कुछ असामाजिक तत्वों ने पथराव करने की कोशिश की जिसे मज़दूरों ने नाकाम कर दिया। स्पष्ट है कि ये कार्रवाइयां मज़दूरों को उकसाने के लिए की जा रही हैं जिससे पुलिस को दमन का बहाना मिल सके। दरअसल, पिछले कुछ समय से मज़दूर ‘मांगपत्रक आन्दोलन-2011′ की तैयारी में गोरखपुर के मज़दूरों की भागीदारी और उत्साह देखकर गोरखपुर के उद्योगपति बौखलाए हुए हैं। उद्योगपतियों और स्थानीय सांसद की शह पर लगातार मज़दूरों को इस आन्दोलन के खिलाफ़ भड़काने की कोशिश की जा रही है और फर्जी नामों से बांटे जा रहे पर्चों-पोस्टरों के जरिए और ज़बानी तौर पर मज़दूरों और आम जनता के बीच यह झूठा प्रचार किया जा रहा है कि यह आन्दोलन माओवादियों द्वारा चलाया जा रहा है।
आज दिन में एक कारखाने के सिक्योरिटी गार्ड और कुछ मज़दूरों के बीच आपसी मारपीट की एक घटना हुई थी जिसका टेक्सटाइल वर्कर्स यूनियन या बिगुल मज़दूर दस्ता से कोई लेनादेना नहीं था। लेकिन इसे बहाना बनाकर, पुलिस ने एक चाय की दुकान पर चाय पी रहे मज़दूर नेता तपीश मैंदोला और प्रमोद को गिरफ्तार कर लिया। घटना की जानकारी मिलने पर करीब100 मज़दूर थाने पहुंचे तो थानाध्यक्ष ने उनके साथ गाली-गलौच की और टैक्सटाइल वर्कर्स यूनियन के प्रशांत एवं राजू को भी गिरफ्तार कर लिया और अचानक लाठीचार्ज करा कर बाकी मज़दूरों को वहां से खदेड़ दिया। इस लाठीचार्ज में कई मज़दूरों को काफ़ी चोट लगी है।
थोड़ी देर बाद मज़दूर फिर इकट्ठा होकर थाने के सामने पहुंचे ही थे कि मज़दूरों के बीच घुसे कुछ तीन-चार लोगों ने (जोकि निश्चित तौर पर मालिकों के इशारे पर काम कर रहे थे) थाने पर पथराव करने का प्रयास किया। लेकिन बाकी मज़दूरों ने तुरंत ही उन्हें नियंत्रित कर लिया और वहां से भगा दिया। थाने तक एक भी पत्थर नहीं पहुंचा लेकिन थानाधयक्ष ने फिर से लाठीचार्ज करा दिया। यह सारी कार्रवाइयां पुलिस-प्रशासन और उद्योगपतियों की मिली-भगत से योजनाबद्ध ढंग से की जा रही हैं और चुन-चुन कर अगुवा मज़दूरों और मज़दूर नेताओं को गिरफ्तार किया गया है।
इस दौरान सभी कारखानों में एक पारी छूट चुकी थी और खबर मिलते ही करीब पांच-छह सौ मज़दूर फिर जुलूस लेकर डीएम कार्यालय की ओर चल पड़े। लेकिन बरगदवा से बाहर निकलते ही उन्हें पुलिस ने रोक लिया तथा डराने-धमकाने की कोशिश की। वहां पर भारी संख्या में पुलिस और पीएसी तैनात कर दी गई है। बाद में स्थिति बिगड़ती देख एडीएम सिटी अखिलेश तिवारी और अन्य अधिकारी वहां पहुंचे और मज़दूरों को आश्वासन दिया कि आप लोग लौट जाएं, सभी गिरफ्तार मज़दूर नेताओं को निजी मुचलके पर आज ही छोड़ दिया जाएगा। लेकिन खबर लिखे जाने तक मज़दूरों और प्रशासन के बीच बातचीत चल रही थी तथा मज़दूर अपने साथियों को तुरंत रिहा करने की मांग पर डटे थे।
इस घटना से साफ है कि मांगपत्रक आन्दोलन-2011 के लिए मज़दूरों की एकजुटता को देखकर मालिकान बौखलाए हुए हैं और अपने गुर्गों तथा पुलिस-प्रशासन की मदद से मज़दूरों की एकजुटता को तोड़ने, उन्हें भड़काने, डराने-धमकाने की हरचंद कोशिश कर रहे हैं। यहां तक कि पूरे देश में कानून सम्मत मांगों के लिए चल रहे इस आन्दोलन पर वे ‘माओवादियों द्वारा संचालित आन्दोलन‘ का ठप्पा लगाने और विदेशी चंदे से चलने वाले आन्दोलन के रूप में प्रचारित करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। उल्लेखनीय है कि दो वर्ष पहले जब गोरखपुर के मज़दूरों ने अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर लड़ने की शुरुआत की थी तभी से उद्योगपति-प्रशासन-स्थानीय सांसद का गठजोड़ उसे बदनाम करने के लिए इसी प्रकार का कुत्सा-प्रचार करता रहा है।
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन
bhartiya rajyastta ka nanga roop
shayad anna hazare aur unke jaise tamam ‘samajsudharko’ko ye dikhai nahi deta
gorakhpur ka prasasan aur yogi adityanath ki mandali desh sewa ka behtar udaharan pesh karte hue poonjipatiyon ki poonch mein kanghi karne ka kaam kar rahi hai