Table of Contents
(मज़दूर बिगुल के जुलाई 2014 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
सुब्रत राय सहारा: परजीवी अनुत्पादक पूँजी की दुनिया का एक धूमकेतु / कात्यायनी
श्रम कानून
मोदी सरकार का एजेण्डा नम्बर 1 – रहे-सहे श्रम क़ानूनों की धज्जियाँ उड़ाना
फासीवाद
मोदी सरकार ने गाज़ा नरसंहार पर संसद में चर्चा कराने से इंकार किया / कविता कृष्णपल्लवी
संघर्षरत जनता
वज़ीरपुर के गरम रोला मज़दूरों का ऐतिहासिक आन्दोलन – मज़दूरों ने जान लिया है! हक़ लेना है ठान लिया है!
ज़ियनवादी नरसंहार, फिलिस्तीनी जनता का महाकाव्यात्मक प्रतिरोध और आज की दुनिया / कात्यायनी
मज़दूर आंदोलन की समस्याएं
बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका
पंजाब सरकार फासीवादी काला क़ानून लागू करने की तैयारी में / लखविन्दर
इतिहास
क्रान्तिकारी चीन में स्वास्थ्य प्रणाली / डॉ. ऋषि
गतिविधि रिपोर्ट
गाज़ा में इज़रायल द्वारा जारी इस सदी के बर्बरतम जनसंहार के विरुद्ध देशभर में विरोध प्रदर्शन
कला-साहित्य
कविता – यह आर्तनाद नहीं, एक धधकती हुई पुकार है! / कात्यायनी
सम्पत्ति विष की गाँठ – प्रेमचन्द के जन्मदिवस (31 जुलाई) के अवसर पर
कविता – विजयी लोग / पाब्लो नेरूदा
फ़िलिस्तीन: कुछ कवितांश / महमूद दरवेश, गोरख पाण्डेय, फदवा तुकन
मज़दूरों की कलम से
पूँजीपतियों को श्रम क़ानूनों की धज्जियाँ उड़ाने की और भी बड़े स्तर पर खुली छूट / इमान, लुधियाना
‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्यता लें!
वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये
पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये
आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये
आर्थिक सहयोग भी करें!
बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन