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(मज़दूर बिगुल के मई 2014 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
मोदी की जीत और मज़दूर वर्ग के लिए इसके मायने
विशेष लेख / रिपोर्ट
भगाणा काण्ड, मीडिया, मध्यवर्ग, सत्ता की राजनीति और न्याय-संघर्ष की चुनौतियाँ
संघर्षरत जनता
चीन की जूता फैक्ट्रियों में काम करने वाले हज़ारों मज़दूर हड़ताल पर / मनन
भगाणा काण्ड: हरियाणा में बढ़ते दलित और स्त्री उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष की एक मिसाल / बेबी कुमारी
श्रीलंका में मई दिवस और मज़दूर आन्दोलन के नये उभार के सकारात्मक संकेत / कविता कृष्णपल्लवी
बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका
श्रीराम पिस्टन, भिवाड़ी के मज़दूरों के आक्रोश का विस्फोट और बर्बर पुलिस दमन
इतिहास
स्मृति शेष
विदा कॉमरेड मुकुल सिन्हा! लाल सलाम!!
कॉमरेड सुनीति कुमार घोष को लाल सलाम!
कारखाना इलाक़ों से
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के औद्योगिक इलाक़ों में सतह के नीचे आग धधक रही है!
चुप्पी तोड़ो, आगे आओ! मई दिवस की अलख जगाओ!! – मई दिवस पर देशव्यापी कार्यक्रम
औद्योगिक दुर्घटनाएं
तुर्की में कोयला खदान में सैकड़ों मज़दूरों की मौत / संजय
कला-साहित्य
मज़दूरों की कलम से
सी.सी. टीवी से मज़दूरों पर निगरानी / प्रेमकुमार, नरेला औद्योगिक क्षेत्र, दिल्ली
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन