Table of Contents
गुड़गांव मज़दूर संघर्ष समिति और बिगुल मज़दूर दस्ता के मज़दूर कार्यकर्ताओं पर श्रीराम पिस्टन के मालिकान और प्रबंधन के गुण्डों का जानलेवा हमला
5 मई, गाजियाबाद। आज शाम 5 बजे श्रीराम पिस्टन के भिवाड़ी के प्लाण्ट के मज़दूरों के पिछले 20 दिनों से जारी आन्दोलन के समर्थन में श्रीराम पिस्टन के ग़ाजि़याबाद के प्लाण्ट के बाहर पर्चा बांटने गये ‘गुड़गांव मज़दूर संघर्ष समिति’ और ‘बिगुल मज़दूर दस्ता’ की संयुक्त टोली पर श्रीराम पिस्टन के मालिकान और प्रबंधन के गुंडों ने जानलेवा हमला किया। इस हमले में चार राजनीतिक कार्यकर्ताओं तपीश मैंदोला, आनंद, अखिल और अजय को गम्भीर चोटें आयी हैं।
यह टोली भिवाड़ी के श्रीराम पिस्टन के संघर्षरत मज़दूरों के लिए समर्थन जुटाने के लिए ग़ाजि़याबाद के श्रीराम पिस्टन के मज़दूरों से समर्थन और एकजुटता की अपील करने गयी थी और इसी बाबत एक पर्चा वितरित कर रही थी। ‘गुड़गांव मज़दूर संघर्ष समिति’ (जीएमएसएस) के अजय ने बताया कि वे लोग कारखाना गेट से करीब 500 मीटर की दूरी पर पर्चा वितरण कर ही रहे थे कि दो गाडि़यों में करीब 8 गुंडे और बाउंसर आये और उन्होंने लोहे की रॉडों, डण्डों, बेल्ट आदि से मज़दूर कार्यकर्ताओं पर हमला कर दिया। इस हमले के बाद उन्हें जबरन गाड़ी में भर कर श्रीराम पिस्टन कारखाने के अन्दर ले गये। अन्दर ले जाकर उन्होंने ग़ाजि़याबाद पुलिस को भी बुला लिया और फिर पुलिस की मौजूदगी में भी इन चारों मज़दूर कार्यकर्ताओं को बर्बरतापूर्वक रॉड, सरिया आदि से पीटते रहे। इसके कारण तपीश के पैर में फ्रैक्चर, आनंद के सिर में गहरी चोट व पैर में फ्रैक्चर, व अखिल के पैर में भी गम्भीर चोटें आयी हैं। इसके बाद पुलिस उन्हें थाने ले गयी और वहां पर हमलावरों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने की बजाय इन चारों मज़दूर कार्यकर्ताओं पर ही प्राथमिकी दर्ज करने का प्रयास किया। लेकिन इस समय तक कुछ अन्य राजनीतिक कार्यकर्ता भी थाने पहुंच चुके थे और कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, जनवादी अधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों द्वारा दबाव के कारण उन पर प्राथमिकी दर्ज करने में श्रीराम पिस्टन के हाथों बिकी हुई पुलिस कामयाब नहीं हो सकी। ज्ञात हो कि इस पूरे दौर में दर्द से परेशान जीएमएसस व बिगुल मज़दूर दस्ता के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने कोई चििकत्सीय देखरेख मुहैया नहीं करायी।
ज्ञात हो कि श्रीराम पिस्टन भिवाड़ी के मज़दूर पिछले 20 दिनों से आंदोलनरत हैं। इन मज़दूरों पर वसुंधरा राजे की मज़दूर विरोधी सरकार लगातार दमन कर रही है। इस आंदोलन के बीच ही सोते हुए मज़दूरों पर मालिकान के इशारे पर वसुंधरा सरकार ने लाठी चार्ज करवाया और फिर 26 मज़दूरों को ही हत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। श्रम विभाग ने कोई हस्तक्षेप करने की बजाय मज़दूरों की यूनियन के पंजीकरण पर रोक लगा दी। इसी बीच श्रीराम पिस्टन कम्पनी ने मज़दूरों को बिना कोई कारण बताये निकालना शुरू कर दिया। इस सारे दमन-उत्पीड़न के बावजूद श्रीराम पिस्टन भिवाड़ी के मज़दूरों ने हार मानने की बजाय अपने आंदोलन को और तेज़ कर दिया। 4 मई को गुड़गांव मज़दूर संघर्ष समिति ने भिवाड़ी के संघर्षरत मज़दूरों को बताया कि वे आंदोलन के समर्थन में श्रीराम पिस्टन के ग़ाजि़याबाद प्लाण्ट के मज़दूरों के बीच पर्चा वितरण करेंगे और उन्हें भी आंदोलन में साथ लाने का प्रयास करेंगे।
5 मई को जीएमएसएस और बिगुल मज़दूर दस्ता की संयुक्त टोली ने गाजियाबाद के प्लाण्ट पर पर्चा वितरण किया और इसी बीच उन पर जानलेवा हमला किया गया। जिस तरीके से हमला किया गया था उसमें स्पष्टत: इरादा जानलेवा था। मज़दूर कार्यकर्ताओं के सिर पर रॉड से वार किये गये जो कि श्रीराम पिस्टन के मालिकान के इरादों को साफ दिखाता है। यह भी साफ हो गया है कि उत्तर प्रदेश की सपा सरकार हो या राजस्थान की भाजपा सरकार,मज़दूरों के लिए उनका मतलब एक ही है–मज़दूरों के लिए पूंजी की बर्बर और नंगी तानाशाही।
इस घटना ने यह भी दिखला दिया है कि श्रीराम पिस्टन के मालिकान और प्रबंधन मज़दूरों के आंदोलन से घबरा गये हैं। वे डर गये हैं और इसीलिए इस तरह के कायराना हमले कर रहे हैं। निश्चित रूप से ऐसी कायराना हरक़तों से मज़दूर डरने वाले नहीं हैं और इसके जवाब में हम अपने आंदोलन को और तेज़ करेंगे। हम सभी मज़दूर संगठनों, जनवादी अधिकार संगठनों, छात्र संगठनों और सभी जनपक्षधर बुद्धिजीवियों और नागरिकों से अपील करते हैं कि इस आंदोलन में मज़दूरों का पुरज़ोर तरीके से साथ दें।
मज़दूर एकता जिन्दाबाद।
बजा बिगुल मेहनतकश जाग। चिंगारी से लगेगी आग।
मेहनतकश जब भी जागा, इतिहास ने करवट बदली है।
ज़ोर है कितना दमन में तेरे। देख लिया है देखेंगे।
संपर्क: अजय-9540436262 (गुड़गांव मज़दूर संघर्ष समिति)
‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्यता लें!
वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये
पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये
आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये
आर्थिक सहयोग भी करें!
बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन